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भूटान आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष (YoY)

शेयर मूल्य

12.68 %
परिवर्तन +/-
-5.86 %
प्रतिशत में परिवर्तन
-37.54 %

भूटान में आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष का वर्तमान मूल्य 12.68 % है। भूटान में आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष 1/12/2022 को 12.68 % तक घट गया, जबकि यह 1/9/2022 को 18.54 % था। 1/12/2015 से 1/9/2023 तक, भूटान में औसत GDP 4.98 % थी। सभी समय का उच्चतम स्तर 1/6/2022 को 22.06 % के साथ प्राप्त हुआ, जबकि सबसे कम मूल्य 1/3/2016 को -5.67 % दर्ज किया गया था।

स्रोत: National Statistics Bureau Bhutan

आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष (YoY)

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • मैक्स

आयात मूल्य वार्षिक वृद्धि

आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष (YoY) इतिहास

तारीखमूल्य
1/12/202212.68 %
1/9/202218.54 %
1/6/202222.06 %
1/3/202219.22 %
1/12/202118.05 %
1/9/202115.99 %
1/6/202114.13 %
1/3/20216.48 %
1/12/20204.27 %
1/9/20201.95 %
1
2
3

आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष (YoY) के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
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CPI ट्रांसपोर्ट
126.49 points124.8 pointsमासिक
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आयात मूल्य
137.39 points139.09 pointsतिमाही
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उत्पादक मूल्य परिवर्तन
-4.37 %-3.75 %मासिक
🇧🇹
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
130.33 points128.41 pointsमासिक
🇧🇹
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आवास और पार्श्व लागत
135.24 points126.4 pointsमासिक
🇧🇹
खाद्य मुद्रास्फीति
5.53 %6.95 %मासिक
🇧🇹
निर्माता मूल्य
96.2 points97.21 pointsमासिक
🇧🇹
निर्यात मूल्य
114.49 points115.49 pointsतिमाही
🇧🇹
निर्यात मूल्य YoY
-6.87 %-4.18 %तिमाही
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मुद्रास्फीति दर
4.87 %4.99 %मासिक
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मुद्रास्फीति दर मासिक
1.5 %0.07 %मासिक

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज एशिया

आयात मूल्य वर्ष-दर-वर्ष (YoY) क्या है?

इम्पोर्ट प्राइसिज़ (वार्षिक % परिवर्तन) पर विस्तारित जानकारी इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन (Import Prices YoY) एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है, जो किसी देश में आयात की गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में साल दर साल परिवर्तन को मापता है। यह सूचकांक विभिन्न आर्थिक नीतियों, वैश्विक बाज़ार की प्रवृत्तियों, और आंतरिक मूल्य स्थिरता को समझने में सहायक सिद्ध होता है। हमारी वेबसाइट Eulerpool पर, हम आपको वास्तविक, अद्यतित, और विश्वसनीय डेटा प्रदान करते हैं, जिससे आप सही निर्णय लेने में सक्षम हो सकें। इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन का महत्व: इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन का मूल्यांकन किसी भी अर्थव्यवस्था के बहुराष्ट्रीय व्यापार विवरण को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह सूचकांक मूलतः यह बताता है कि पिछले वर्ष की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में विदेशी वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कितनी बदली हैं। इसे मुख्य रूप से विभिन्न कारकों द्वारा प्रभावित किया जाता है, जैसे कि विनिमय दर, वैश्विक मांग और आपूर्ति, और विदेशी मुद्रास्फीति दर। एक आयातक देश के लिए, आयातित वस्तुओं की बढ़ती कीमतें महंगाई में योगदान कर सकती हैं। यह कई बार राष्ट्रीय मुद्रास्फीति दर को सीधे प्रभावित करता है और इसलिए केंद्रीय बैंक और वित्तीय नियोजन संस्था इस पर नज़र रखते हैं। इसके अतिरिक्त, इम्पोर्ट प्राइसिज़ का व्यापार संतुलन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि आयात की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं और निर्यात की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो यह व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है। इम्पोर्ट प्राइसिज़ के आर्थिक प्रभाव: 1. महंगाई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI): आयात की कीमतों में वृद्धि महंगाई का प्रमुख कारण बन सकती है। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में परिलक्षित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप, सामान्य जनजीवन महंगा हो सकता है और उपभोक्ता के क्रय शक्ति में कमी आ सकती है। 2. कारोबार और व्यापार संतुलन: उच्च आयात कीमतें व्यापार संतुलन को भी प्रभावित करती हैं। इसकी वजह से देश का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, जो निवेशकों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। व्यापार संतुलन की स्थिति पर निगरानी रखना आवश्यक होता है, ताकि आयात और निर्यात के बीच संतुलन बना रहे और आर्थिक स्थिरता बनी रहे। 3. विनिमय दरें: इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन का असर विनिमय दरों पर भी पड़ता है। यदि एक देश में आयातित वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, तो यह उसकी मुद्रा की विनिमय दर को कमजोर कर सकता है। जबकि निर्यात ओरिएंटेड देशों पर इसका विपरीत असर हो सकता है, जिससे वह प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल कर सकते हैं। 4. उद्योग और कृषि: आयात की कीमतों में वृद्धि घरेलू उद्योग और कृषि क्षेत्र पर भी असर डालती है। उच्च आयातित कच्चे माल की कीमतें घरेलू उत्पादन को महंगा बना सकती हैं, जिससे उत्पादकता घट सकती है। इसका असर आर्थिक विकास दर पर पड़ता है और रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं। ईंधन और ऊर्जा की कीमतें: आयात कीमतें ऊर्जा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन का ऊर्जा स्रोतों, जैसे कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों पर सीधा असर पड़ता है। इसकी वजह से ऊर्जा खपत और उत्पादन गतिविधियों पर भी प्रभाव पड़ता है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य: इम्पोर्ट प्राइसिज़ वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को भी परिलक्षित करती हैं। जैसे, यदि किसी प्रमुख निर्यातक देश की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, तो उसकी आयात की कीमतें बढ़ सकती हैं। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक साझेदारी में उतार-चढ़ाव ला सकता है। नीति निर्माण और केंद्रीय बैंक के निर्णय: आयात की कीमतों में परिवर्तन केंद्रीय बैंक और नीति निर्माता के लिए महत्वपूर्ण जानकारी होती है। इसके आधार पर, वे मौद्रिक और वित्तीय नीतियों को समायोजित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि इम्पोर्ट प्राइसिज़ बढ़ती रहती हैं, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकता है जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाने की कोशिश की जाती है। कुल मिलाकर, इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है, जो विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव डालता है। इसका निरंतर अध्ययन और मूल्यांकन न केवल आर्थिक नीति निर्माताओं के लिए बल्कि व्यापारियों, निवेशकों, और आम उपभोक्ताओं के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। Eulerpool पर आप हमारे विस्तृत और अद्यतित डेटाबेस का उपयोग करके इम्पोर्ट प्राइसिज़ वार्षिक परिवर्तन का विश्लेषण कर सकते हैं। हमारी वेबसाइट आपको विश्वव्यापी परिवर्तनों का सटीक और सूचनाप्रद डेटा प्रदान करती है, जिससे आप अपनी व्यापारिक रणनीतियों और आर्थिक नीतियों को बेहतर ढंग से विकसित कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारी जानकारी और सेवाएं आपको आपकी आर्थिक योजना में मददगार साबित होगी।