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लिथुआनिया सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य

शेयर मूल्य

15.292 अरब EUR
परिवर्तन +/-
+96.4 मिलियन EUR
प्रतिशत में परिवर्तन
+0.63 %

लिथुआनिया में वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य 15.292 अरब EUR है। लिथुआनिया में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य 1/3/2025 को 15.292 अरब EUR तक बढ़ गया, यह 1/12/2024 को 15.196 अरब EUR था। 1/3/2005 से 1/3/2025 तक, लिथुआनिया में औसत जीडीपी 11.63 अरब EUR था। सबसे उच्चतम स्तर 1/3/2025 को 15.29 अरब EUR के साथ हासिल हुआ, जबकि सबसे निम्नतम स्तर 1/3/2005 को 8.53 अरब EUR था।

स्रोत: Statistics Lithuania

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य इतिहास

तारीखमूल्य
1/3/202515.292 अरब EUR
1/12/202415.196 अरब EUR
1/9/202415.05 अरब EUR
1/6/202414.877 अरब EUR
1/3/202414.816 अरब EUR
1/12/202314.623 अरब EUR
1/9/202314.673 अरब EUR
1/6/202314.64 अरब EUR
1/3/202314.414 अरब EUR
1/12/202214.525 अरब EUR
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सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) स्थिर मूल्य क्या है?

जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस: अर्थव्यवस्था का स्थिर मापन जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस, जिसे 'स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद' भी कहा जाता है, आर्थिक विश्लेषण और योजना निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण श्रेणी है। यह एक ऐसा संकेतक है जिसके द्वारा हम किसी देश की आर्थिक स्थिति, विकास दर और आर्थिक गतिविधियों का विश्लेषण कर सकते हैं। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस किसी विशिष्ट आधार वर्ष की कीमतों पर आर्थिक उत्पादन को मापता है, जिससे मुद्रास्फीति के प्रभाव को दूर किया जा सके। आइए गहराई से समझते हैं कि जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस क्या है, इसका महत्व क्या है, और इसे कैसे मापा जाता है। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक उत्पादन की गणना मुद्रास्फीति के प्रभाव से मुक्त हो। जब हम किसी देश की जीडीपी दर की गणना करते हैं, तो हमें यह ध्यान में रखना होता है कि मुद्रास्फीति के कारण मूल्य स्तर में साला दर कई बार बदलता रहता है। स्थिर मूल्यों पर जीडीपी हमें एक सुरक्षित और स्थिर मूल्यांकन प्रदान करती है, जिससे आर्थिक नीति निर्माता और विश्लेषक वास्तविक आर्थिक प्रगति को समझ सकते हैं। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस की गणना के लिए आधार वर्ष का चयन किया जाता है। यह आधार वर्ष वह वर्ष है जिसे संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और सभी उत्पादन को इस वर्ष की कीमतों पर मापा जाता है। उदाहरण के लिए, मान लें कि 2020 को आधार वर्ष के रूप में चुना गया है। इस स्थिति में, 2021, 2022 और उससे आगे के सभी वर्षों की जीडीपी को 2020 की कीमतों पर मापा जाएगा। इससे हमें एक स्पष्ट तस्वीर मिलती है कि वास्तविक उत्पादन में कितना सुधार हुआ है, मुद्रास्फीति के प्रभाव को ध्यान में रखे बिना। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस की गणना करते समय कुछ महत्वपूर्ण घटकों पर ध्यान देना आवश्यक है। सरकार के खर्च, उपभोक्ता खर्च, निवेश और निर्यात-आयात अंतर को ध्यान में रखते हुए इसे मापा जाता है। यह सभी घटक मिलकर जीडीपी की संरचना करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आर्थिक मूल्यांकन समग्र और सम्पूर्ण हो। जब हम जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस की बात करते हैं, तो इसमें एक प्रमुख अंतर जीडीपी नॉमिनल (सुधारित कीमतों पर जीडीपी) के साथ होता है। जीडीपी नॉमिनल में मुद्रास्फीति के प्रभाव को शामिल करता है, जबकि जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस इसे अलग करता है। यह अंतर अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस हमें वास्तविक आर्थिक गतिविधियों का स्पष्ट और सटीक मापन प्रदान करता है, जिसमें मूल्य बदलावों का कोई प्रभाव नहीं होता। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस का उपयोग आर्थिक योजना निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीति निर्माता इस संकेतक का उपयोग करके दीर्घकालिक विकास योजनाओं, आर्थिक नीतियों और सुधारों का निर्माण करते हैं। इसके अलावा, यह संकेतक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक तुलना के लिए भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों की जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस की तुलना करके, विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच के विकास दरों और उत्पादन की प्रभावशीलता को मापा जा सकता है। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस के विश्लेषण का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आर्थिक मन्दी और प्रगति के निर्धारण में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी देश की जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस में स्थिरता है या गिरावट देखी जाती है, तो यह संकेत हो सकता है कि अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है। इसके विपरीत, यदि जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस में वृद्धि हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि अर्थव्यवस्था प्रगति की ओर बढ़ रही है। जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस का प्रमाणीकरण और सत्यापन विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किया जाता है। इनमें विभिन्न सरकारी सांख्यिकी विभाग, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और अन्य शामिल हैं। ये संगठन जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस के मापन में गुणवत्ता और सटीकता की निरंतर निगरानी करते हैं, ताकि आर्थिक आंकड़े विश्वासपात्र और विश्वसनीय बने रहें। निष्कर्षतः, जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है जो हमें किसी देश की वास्तविक आर्थिक स्थिति का माप प्रदान करता है, मुद्रास्फीति के प्रभाव को अलग करते हुए। यह संकेतक नीति निर्माताओं, विश्लेषकों और आर्थिक योजनाकारों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जिससे वे आर्थिक नीति निर्माण, दीर्घकालिक योजना और अंतरराष्ट्रीय तुलना कर सकते हैं। आज की जटिल और बहुमुखी वैश्विक अर्थव्यवस्था में, जीडीपी कॉन्स्टेंट प्राइसेस का महत्व और भी बढ़ जाता है, और यह अर्थव्यवस्था की स्थिरता और सटीकता को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होता है। हमारी वेबसाइट, Eulerpool, पर हम इस महत्वपूर्ण और जटिल अवधारणा को अत्यधिक दक्षता और सटीकता के साथ प्रस्तुत करते हैं, ताकि हमारे उपयोगकर्ता सटीक और विश्वसनीय आर्थिक आंकड़ों के माध्यम से अपने निर्णय सफलतापूर्वक और आत्मविश्वास के साथ ले सकें।