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सिंगापुर आयात कीमतें

शेयर मूल्य

93.073 अंक
परिवर्तन +/-
-1.859 अंक
प्रतिशत में परिवर्तन
-1.98 %

आयात कीमतें का वर्तमान मूल्य सिंगापुर में 93.073 अंक है। सिंगापुर में आयात कीमतें 1/9/2024 को घटकर 93.073 अंक हो गया, जब यह 1/8/2024 को 94.932 अंक था। 1/1/1974 से 1/9/2024 तक, सिंगापुर में औसत GDP 99.55 अंक थी। सर्वकालिक उच्चतम मूल्य 1/3/1981 को 128.66 अंक पहुँचा, जबकि निम्नतम मूल्य 1/5/1975 को 76.57 अंक दर्ज किया गया था।

स्रोत: Statistics Singapore

आयात कीमतें

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

आयात मूल्य

आयात कीमतें इतिहास

तारीखमूल्य
1/9/202493.073 अंक
1/8/202494.932 अंक
1/7/202497.447 अंक
1/6/202497.259 अंक
1/5/202497.92 अंक
1/4/202499.279 अंक
1/3/202496.569 अंक
1/2/202497.152 अंक
1/1/202497.492 अंक
1/12/202398.095 अंक
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आयात कीमतें के समान मैक्रो संकेतक

सिंगापुर में, आयात मूल्य सूचकांक (आईपीआई) आयातित वस्तुओं के मासिक मूल्यों में परिवर्तनों को ट्रैक करता है। आईपीआई का उपयोग मूल्य डिफ्लेटर के रूप में भी किया जाता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की मात्रा का अनुमान लगाया जा सके और स्थिर मूल्य राष्ट्रीय खाता अनुमानों की संकलना की जा सके।

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आयात कीमतें क्या है?

ईूलरपूल पर आपका स्वागत है, जहाँ हम विशेषज्ञता के साथ मैक्रोइकनॉमिक डेटा प्रस्तुत करते हैं। हमारे प्लेटफॉर्म पर मैक्रोइकनॉमिक श्रेणियों की विस्तृत श्रृंखला मौजूद है, और आज हम आपको 'आयात मूल्यों' (Import Prices) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आयात मूल्यों का अर्थशास्त्र और व्यापार में एक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह मूल्य दर्शाते हैं जिन पर एक देश अपने वस्त्र और सेवा आयात करता है। इन मूल्यों का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार की स्थिति, तेल और धातुओं जैसे कच्चे माल की कीमतें, और मुद्रा विनिमय दरें। आयात मूल्यों का अध्ययन करना इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह जानकारी न केवल व्यापारियों और निवेशकों के लिए, बल्कि नीति निर्माताओं के लिए भी अत्यंत सहायक होती है। आयात मूल्यों का हमारे देश की कुल लागत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, खासकर अगर हम कच्चे माल या अर्ध-तैयार उत्पादों का बड़ा हिस्सा आयात करते हैं। जब आयात मूल्य बढ़ते हैं, तो इसका मतलब होता है कि हमें उन वस्त्रों के लिए अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और वस्त्रों और सेवाओं की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। इसके विपरीत, आयात मूल्यों में कमी से हमारी उत्पादन लागत कम हो सकती है, और ग्राहकों के लिए भी कीमतें कम हो सकती हैं। आयात मूल्यों के विभिन्न प्रकार के प्रभाव होते हैं। सबसे पहले, यह घरेलू उत्पादकों पर दबाव डाल सकता है। यदि आयातित वस्तुएं घरेलू उत्पादों की तुलना में सस्ती हैं, तो इससे घरेलू बाज़ार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति कमजोर हो सकती है। लेकिन दूसरी ओर, आयात मूल्यों में गिरावट नए व्यावसायिक अवसरों और बेहतर मुनाफा दरों के द्वार भी खोल सकती है। आयात मूल्यों की निगरानी करने के लिए हम कई प्रमुख संकेतकों का उपयोग करते हैं, जैसे आयात-निर्भर राष्ट्रों की स्थिति, वाणिज्यिक समझौतों के प्रभाव, और नवीनतम नीतिगत परिवर्तनों का असर। उदाहरण के लिए, जब सरकार कोई नया व्यापार समझौता करती है या टैरिफ में परिवर्तन लाती है, तो इसका सीधा प्रभाव आयात मूल्यों पर पड़ सकता है। विश्व स्तर पर, विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक संबंधों का भी अहम रोल होता है। उदाहरण के लिए, जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाज होता है, तो इसका असर भारत सहित अन्य देशों के आयात मूल्यों पर भी पड़ सकता है। इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें भी बड़े पैमाने पर प्रभाव डालती हैं। यदि तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो इसका असर लगभग सभी उत्पादों और सेवाओं की लागत पर दिखाई देता है, क्योंकि तेल एक प्रमुख इनपुट है। अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से, आयात मूल्यों में वृद्धि का मतलब है व्यापार संतुलन में बदलाव। यदि वह देश अधिक आयात करता है तो इससे उसके चालू खाता घाटे में वृद्धि हो सकती है। यह स्थिति देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी दबाव डाल सकती है। दूसरी ओर, अगर आयात सस्ते होते हैं, तो चालू खाता संतुलन में सुधार हो सकता है और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ सकता है। आयात मूल्यों का मूल्य विश्लेषण निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। जब आयात मूल्यों में वृद्धि होती है, तो इससे आयात-निर्भर उद्योगों की मुनाफा मार्जिन पर प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति खासकर विनिर्माण उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो कच्चे माल आयात करते हैं। इसके अलावा, यदि उपभोक्ता वस्त्रों के आयात मूल्यों में वृद्धि होती है, तो इससे उपभोक्ता व्यय पर भी असर पड़ सकता है, और अंततः इसका प्रभाव सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर भी पड़ता है। मौद्रिक नीति के संदर्भ में, आयात मूल्यों में परिवर्तन केंद्रीय बैंकों के निर्णयों को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, यदि आयात मूल्यों में वृद्धि होती है और इससे मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी होती है, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर सकते हैं। इससे निवेश और खर्चों पर असर पड़ सकता है, जो आर्थिक विकास की गति को धीमा कर सकता है। अंत में, आयात मूल्यों का सूक्ष्म अध्ययन और इसकी वित्तीय नीतियों के साथ समन्वय देश की दीर्घकालिक विकास नीति में एक महत्वपूर्ण घटक है। आज की वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था में, जहाँ देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अत्यधिक निर्भर हैं, आयात मूल्यों का विश्लेषण और समझ अत्यंत आवश्यक है। ईूलरपूल पर हम आपको सबसे अद्यतन और सटीक आयात मूल्य डेटा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध व्यापक माध्यमों और विश्लेषणात्मक साधनों का उपयोग करके, आप आदतन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं जो आपके व्यवसाय या अनुसंधान के लिए अनमोल साबित हो सकती है। हम आपको आमंत्रित करते हैं कि हमारी वेबसाइट पर और अधिक जानें और इस दिशा में अपने ज्ञान को गहन करें। आयात मूल्यों की इस व्यापक जानकारी के साथ, हम आपको एक सशक्त समझ प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं जो आपकी व्यावसायिक और वित्तीय योजनाओं में आपको लाभान्वित करे। ईूलरपूल पर हमारी विशेषज्ञता का लाभ उठाएँ और अपने वित्तीय निर्णयों को और अधिक सटीक और प्रभावी बनाएं। हम आपके साथ इस यात्रा में हैं, जहां अर्थव्यवस्था की गहराई को समझने की हर संभव सुविधा प्रदान की जाती है।