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प्रोफ़ाइल
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ऑस्ट्रिया सैन्य व्यय

शेयर मूल्य

4.41 अरब USD
परिवर्तन +/-
+797.3 मिलियन USD
प्रतिशत में परिवर्तन
+19.88 %

ऑस्ट्रिया में वर्तमान सैन्य व्यय का मूल्य 4.41 अरब USD है। 1/1/2023 को ऑस्ट्रिया में सैन्य व्यय बढ़कर 4.41 अरब USD हो गया, जबकि 1/1/2022 को यह 3.613 अरब USD था। 1/1/1957 से 1/1/2023 तक, ऑस्ट्रिया में औसत GDP 1.73 अरब USD थी। 1/1/2023 को सर्वकालिक उच्चतम स्तर 4.41 अरब USD था, जबकि 1/1/1957 को सबसे कम मूल्य 82.6 मिलियन USD दर्ज किया गया।

स्रोत: SIPRI

सैन्य व्यय

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

सैन्य व्यय

सैन्य व्यय इतिहास

तारीखमूल्य
1/1/20234.41 अरब USD
1/1/20223.613 अरब USD
1/1/20214.196 अरब USD
1/1/20203.84 अरब USD
1/1/20193.337 अरब USD
1/1/20183.388 अरब USD
1/1/20173.153 अरब USD
1/1/20162.886 अरब USD
1/1/20152.665 अरब USD
1/1/20143.305 अरब USD
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सैन्य व्यय के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
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भ्रष्टाचार रैंक
25 20 वार्षिक
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भ्रष्टाचार सूचकांक
67 Points71 Pointsवार्षिक
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राजकीय व्यय
19.769 अरब EUR19.577 अरब EURतिमाही
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राजकोष
-2.7 % of GDP-3.3 % of GDPवार्षिक
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राजकोष का मूल्य
1.158 अरब EUR-4.24 अरब EURमासिक
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राजकोषीय ऋण
299.568 अरब EUR300.466 अरब EURमासिक
🇦🇹
राजकोषीय ऋण से सकल घरेलू उत्पाद
77.8 % of GDP78.4 % of GDPवार्षिक
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राजकोषीय व्यय
9.802 अरब EUR9.143 अरब EURमासिक
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राजस्व
10.96 अरब EUR4.904 अरब EURमासिक
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राज्य व्यय से सकल घरेलू उत्पाद
52.7 % of GDP53 % of GDPवार्षिक
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शरणार्थी आवेदन
1,325 persons1,555 personsमासिक

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज यूरोप

सैन्य व्यय क्या है?

मिलिटरी व्यय के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है जब हम किसी राष्ट्र की आर्थिक स्थिति और उसके वृहद आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण करते हैं। ईउलरपूल पर, हम आपके लिए विस्तृत और परिशुद्ध आँकड़े प्रस्तुत करते हैं जो समग्र आर्थिक परिदृश्य को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं। मिलिटरी व्यय एक ऐसा निर्धारण कारक है जो न केवल देश की सुरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है बल्कि उसके आर्थिक विकास की संभावनाओं को भी परिभाषित करता है। मिलिटरी व्यय को अक्सर राष्ट्र की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में देखा जाता है। यह अनुपात न केवल एक देश के रक्षा खतरों का संकेतक होता है बल्कि उसकी राजनैतिक प्राथमिकताओं और आर्थिक दक्षता को भी दर्शाता है। उदाहरण के लिए, जिन देशों में सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता दी जाती है, वे अपने मिलिटरी व्यय को प्राथमिकता देते हैं जबकि अन्य देश विकासात्मक और सामाजिक कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। मिलिटरी व्यय में मुख्यतः दो प्रमुख घटक होते हैं: पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय। पूंजीगत व्यय में नई सैन्य उपकरणों की खरीद, अनुसंधान और विकास, तथा सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है। दूसरी ओर, राजस्व व्यय में सैन्य कर्मियों के वेतन, रखरखाव खर्च और अन्य संचालनात्मक खर्च शामिल होते हैं। पूंजीगत व्यय और राजस्व व्यय के बीच का संतुलन किसी भी राष्ट्र की सैन्य दक्षता और दीर्घकालिक रणनीतिक उद्देश्यों को प्रभावित करता है। अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में, राष्ट्रों के मिलिटरी व्यय का तुलनात्मक विश्लेषण महत्वपूर्ण है। यह विश्लेषण न केवल भौगोलिक और राजनैतिक संदर्भों को स्पष्ट करता है बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा तंत्र पर भी प्रकाश डालता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका, चीन, और रूस जैसे देशों के मिलिटरी व्यय अत्यधिक उच्च होते हैं जबकि अन्य देशों जैसे जापान और जर्मनी का व्यय अपेक्षाकृत निम्न होता है, जो उनके विभिन आर्थिक और रक्षा नीतियों को दर्शाता है। किसी भी देश के लिए मिलिटरी व्यय के आर्थिक प्रभाव को समझना अत्यावश्यक है। उच्च मिलिटरी व्यय का अर्थ है कि सरकार अन्य आवश्यक क्षेत्रों जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक कल्याण पर कम खर्च कर सकती है। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि उचित सुरक्षा तंत्र की अनुपस्थिति में, देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। इस प्रकार, एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो आर्थिक विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाये। इसके अलावा, मिलिटरी व्यय का आर्थिक गुणक भी एक महत्वपूर्ण कारक है। सैन्य खर्च से उत्पन्न निवेश और रोजगार का प्रभाव अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों तक फैलता है। यह विशेष रूप से उन देशों में देखा जा सकता है जहाँ सैन्य उद्योग एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है, जिससे न केवल रक्षा बल्कि संबंधित क्षेत्रों में भी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। मिलिटरी व्यय के पर्यावरणीय प्रभाव को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। अत्याधिक सैन्य गतिविधियों और उपकरणों का उपयोग पर्यावरणीय दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। ध्वनि प्रदूषण, जल और वायु प्रदूषण, और प्राकृतिक संसाधनों की अति-उपयोगिता कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो मिलिटरी व्यय के साथ जुड़े होते हैं। इन प्रभावों का मूल्यांकन और समाशोधन सुनिश्चित करना सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होती है। समय के साथ-साथ मिलिटरी व्यय में परिवर्तन देखा गया है। शीत युद्ध के बाद की अवधि में, कई देशों ने अपने मिलिटरी व्यय को पुनः मूल्यांकित किया और रक्षा बजट में कटौती करने का निर्णय लिया। दूसरी ओर, संभावित खतरों और आतंकवादी गतिविधियों की बढ़ती वारदातों के कारण कुछ देशों ने अपने मिलिटरी व्यय को बढ़ाया। इस प्रकार मिलिटरी व्यय न केवल वर्तमान सुरक्षा स्थितियों पर निर्भर होता है बल्कि राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक कारकों से भी प्रभावित होता है। मार्केटिंग और सूचना प्रदान करने वाले प्लेटफार्म ईउलरपूल जैसे वेबसाइटों के द्वारा सटीक और विश्वसनीय डेटा प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य है। हमारे डेटा संग्रह में, हम उपयोगकर्ताओं को निष्पक्ष और वैज्ञानिक तरीकों के आधार पर जानकारी प्रदान करते हैं। मिलिटरी व्यय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न घटकों का विस्तृत विश्लेषण हमारे उपयोगकर्ताओं को एक व्यापक दृष्टिकोण देता है जिससे वे बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हो पाते हैं। सारांश में, मिलिटरी व्यय किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा रणनीतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके उचित और संतुलित उपयोग से न केवल देश की सुरक्षा सुदृढ़ बनती है बल्कि आर्थिक स्थिरता और विकास को भी प्रोत्साहन मिलता है। ईउलरपूल में हमारा उद्देश्य आपके लिए सटीक और परिशुद्ध मिलिटरी व्यय डेटा प्रस्तुत करना है जो आपके अनुसंधान और विश्लेषण के लिए उपयोगी हो। इन आंकड़ों का सही प्रकार से विश्लेषण करके, आप न केवल एक राष्ट्र की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कर सकते हैं बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा में योगदान भी दे सकते हैं।