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🇮🇩

इंडोनेशिया निर्यात

शेयर मूल्य

21.981 अरब USD
परिवर्तन +/-
+552.9 मिलियन USD
प्रतिशत में परिवर्तन
+2.55 %

इंडोनेशिया में निर्यात का वर्तमान मूल्य 21.981 अरब USD है। इंडोनेशिया में निर्यात 1/2/2025 को बढ़कर 21.981 अरब USD हो गया, जबकि 1/1/2025 को यह 21.428 अरब USD था। 1/1/1960 से 1/2/2025 तक, इंडोनेशिया में औसत GDP 5.79 अरब USD थी। सर्वकालिक उच्चतम मूल्य 1/8/2022 को 27.93 अरब USD दर्ज किया गया था, जबकि न्यूनतम मूल्य 1/1/1961 को 30 मिलियन USD था।

स्रोत: Statistics Indonesia

निर्यात

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

निर्यात

निर्यात इतिहास

तारीखमूल्य
1/2/202521.981 अरब USD
1/1/202521.428 अरब USD
1/12/202423.461 अरब USD
1/11/202423.998 अरब USD
1/10/202424.422 अरब USD
1/9/202422.056 अरब USD
1/8/202423.44 अरब USD
1/7/202422.237 अरब USD
1/6/202420.845 अरब USD
1/5/202422.324 अरब USD
1
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...
79

निर्यात के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
🇮🇩
आतंकवाद सूचकांक
4.17 Points3.993 Pointsवार्षिक
🇮🇩
आयात rss_CYCLIC_REPLACE_MARK rss_CYCLIC_REPLACE_MARK
18.864 अरब USD18 अरब USDमासिक
🇮🇩
आयात YoY
2.3 %-2.73 %मासिक
🇮🇩
कच्चे तेल का उत्पादन
598 BBL/D/1K593 BBL/D/1Kमासिक
🇮🇩
चालू खाता
-1.145 अरब USD-2.008 अरब USDतिमाही
🇮🇩
चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में
-0.3 % of GDP1 % of GDPवार्षिक
🇮🇩
निधि अंतरण
4.075 अरब USD3.982 अरब USDतिमाही
🇮🇩
निर्यात YoY
14.05 %4.56 %मासिक
🇮🇩
पर्यटक आगमन
1.244 मिलियन 1.092 मिलियन मासिक
🇮🇩
पर्यटन आयें
4.074 अरब USD5.164 अरब USDतिमाही
🇮🇩
पूंजी प्रवाह
606 मिलियन USD6.581 अरब USDतिमाही
🇮🇩
विदेशी कर्ज
424.849 अरब USD428.136 अरब USDतिमाही
🇮🇩
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
245.8 IDR Trillion232.7 IDR Trillionतिमाही
🇮🇩
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश YoY
33.3 %18.6 %तिमाही
🇮🇩
व्यापार शेष (ट्रेड बैलेंस)
3.117 अरब USD3.492 अरब USDमासिक
🇮🇩
व्यापारिक शर्तें
113.2 points112.05 pointsमासिक
🇮🇩
शस्त्र बिक्री
17 मिलियन SIPRI TIV9 मिलियन SIPRI TIVवार्षिक
🇮🇩
स्वर्ण भंडार
78.57 Tonnes78.57 Tonnesतिमाही

निर्यात इंडोनेशिया की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन रहा है। हालांकि, 2012 में चरम पर पहुँचने के बाद, यह कमोडिटी कीमतों में गिरावट और वैश्विक मांग की कमी के कारण निरंतर गिरावट में है। प्रमुख निर्यात हैं: तेल और गैस (कुल निर्यात का 12.4 प्रतिशत, जिसमें गैस 6.9 प्रतिशत, कच्चा तेल 4.3 प्रतिशत और तेल उत्पाद 1.2 प्रतिशत हैं); पशु और वनस्पति वसा और तेल (14 प्रतिशत); और विद्युत उपकरण और मशीनरी (10.45 प्रतिशत)। अन्य निर्यात में शामिल हैं: जूते और उनके हिस्से (3.4 प्रतिशत); बुने नहीं गए वस्त्र (3 प्रतिशत) और अयस्क, स्लैग और राख (2.5 प्रतिशत)। प्रमुख निर्यात भागीदार हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका (11.6 प्रतिशत), चीन (कुल निर्यात का 10 प्रतिशत), जापान (9.9 प्रतिशत), भारत (8.8 प्रतिशत) और सिंगापुर (7 प्रतिशत)।

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज एशिया

निर्यात क्या है?

एक्सपोर्ट्स (निर्यात) का महत्व और उसका आर्थिक प्रभाव बड़े पैमाने पर किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। निर्यात वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक देश अपनी उत्पादित वस्तुएं और सेवाएं विदेशों में बेचता है। यह आर्थिक गतिविधि केवल व्यापार संतुलन और विदेशी मुद्रा भंडार को ही नहीं, बल्कि समग्र आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है। निर्यात के माध्यम से कमाई जाने वाली विदेशी मुद्रा देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अहम योगदान देती है और इसका सीधा प्रभाव रोजगार सृजन पर भी पड़ता है। जब एक देश निर्यात करता है, तो वह केवल अपने बाजार को ही नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार को भी लक्ष्य करता है। निर्यात बढ़ाने के लिए अनेक कारक महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें सरकार की व्यापार नीतियों, अंतरराष्ट्रीय मांग और प्रतिस्पर्धात्मकता शामिल हैं। अक्सर यह देखा गया है कि उच्च निर्यात वाले देश स्थिर और संकुचित घरेलू बाजारों के दुश्चक्र से बाहर निकलने में सफल होते हैं। उदाहरण के तौर पर, चीन और जर्मनी जैसे देश निर्यात में अपनी प्रवीणता के कारण विश्वभर में आर्थिक दृष्टि से मजबूत बने हुए हैं। निर्यात केवल आर्थिक लाभों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मज़बूत बनाता है। जब एक देश अन्य देशों में अपने उत्पाद बेचता है, तो इसमें एक प्रकार के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अवसर भी होता है। इसके द्वारा देशों के बीच विश्वास और आपसी समझ में भी वृद्धि होती है। व्यापार संबंधी वार्ताएं और समझौते उन परस्पर लाभकारी क्षेत्रों की पहचान करने में सहायक होते हैं, जो लंबे समय तक आर्थिक सहयोग के आधार बनते हैं। निर्यात से प्राप्त लाभ कई स्तरों पर देखने को मिलते हैं। विदेशी मुद्रा भंडार का संवर्धन, राजस्व में वृद्धि, और आर्थिक सुदृढ़ता कुछ प्रमुख फायदे हैं। इसके अतिरिक्त, जब देश अपनी वस्तुओं और सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए प्रस्तुत करता है, तो यह तकनीकी उन्नति और उत्पादकता में सुधार के लिए प्रेरित करता है। प्रतिस्पर्धा के चलते उद्योगों में नवाचार के प्रयास अधिक होते हैं और परिणामस्वरूप उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह प्रवृत्ति अंततः उपभोक्ताओं के हित में होती है और बाजार में उनकी पसंद के दबाव को भी संतुलित करती है। एक्सपोर्ट्स में सुधार के लिए सरकारें विभिन्न प्रकार की नीतियाँ और उपाय अपनाती हैं। इनमें सब्सिडी, कर में छूट, और निर्यात संवर्धन योजनाएं शामिल हैं। यह हरित क्रांति या ब्लू क्रांति जैसे विशिष्ट क्षेत्रीय पहल भी हो सकते हैं, जो विशेष उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देते हैं। सरकारें अपने उत्पादन क्षेत्रों को निर्यात के लिए अनुचित नियमों से मुक्त कर सकती हैं और तार्किक अवरोधों को दूर करने के उपाय कर सकती हैं जिससे उत्पादों को सही समय पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुँचना सरल हो जाता है। बाजार की मांग और प्रौद्योगिकी में बदलाव भी निर्यात के स्तर को प्रभावित करते हैं। आर्थिक नीति निर्माताओं को इसलिए निर्यात के रुझानों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों को निरंतर अद्यतन करना पड़ता है। बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी लागत भी महत्वपूर्ण होती है। इस संदर्भ में, निर्यातकों को यह ध्यान रखने की जरूरत होती है कि उनकी वस्तुएं और सेवाएं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों। उदाहरण के लिए, भारतीय आईटी सेक्टर अपने व्यापक ज्ञान और कौशल के बल पर आज विशाल मात्रा में निर्यात कर रहा है। इस क्षेत्र में निरंतर नवाचार और उच्च कौशल स्तर भारत को वैश्विक आईटी निर्यात के महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहे हैं। यही स्थिति विभिन्न अन्य क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, फार्मास्युटिकल्स, और ऑटोमोबाइल में भी देखी जा सकती है, जहाँ भारत ने अपनी मजबूती सिद्ध की है। निर्यातों पर उच्च निर्भरता का एक नकारात्मक पहलू यह हो सकता है कि वैश्विक आर्थिक मंदी या अन्य बाहरी संकटों से देश की अर्थव्यवस्था पर अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, विविधीकरण और अनुकूलनशीलता निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं के लिए अत्यंत आवश्यक हो जाते हैं। व्यापारिक रणनीति में विविधता लाने और नए बाजारों की खोज करने से देश की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है। निर्यात के माध्यम से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार कैसे संभव है, इस पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से दूरगामी सलाह और बेहतर प्रबंधन प्रक्रियाएं अपनाई जा सकती हैं। विभिन्न उद्योगों में उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग और कौशल पूर्ण मानव संसाधन की आवश्यकता होती है, ताकि विश्व स्तरीय वस्तुएं और सेवाएं उत्पन्न की जा सकें। इसके साथ ही, उद्योगों के लिए नवाचार और अनुसंधान में निवेश अनिवार्य होता है, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हो सके और वे अंतरराष्ट्रीय मांग के अनुरूप हों। निष्कर्षत: निर्यात किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। यह एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से देश न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख भी बढ़ा सकते हैं। निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार और उद्योगों के सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। इस दिशा में नीति और क्रियान्वयन की समन्वित रणनीतियों से ही देश आर्थिक स्थिरता और सुदृढ़ता प्राप्त कर सकते हैं। Eulerpool पर उपलब्ध आंकड़ों के माध्यम से आप अपने व्यापारिक निर्णयों को अधिक सटीकता के साथ ले सकते हैं। हमारे विस्तृत और सटीक डेटा स्रोत आपको वैश्विक निर्यात के रुझानों और उनकी व्याख्या में मदद करेंगे, जिससे आप अपने व्यापार को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकेंगे।