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2 यूरो में सुरक्षित करें रवांडा कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
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रवांडा में कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का वर्तमान मूल्य 642 अरब RWF है। रवांडा में कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 1/9/2023 को 636 अरब RWF के बाद 1/12/2023 को बढ़कर 642 अरब RWF हो गया। 1/3/2006 से 1/3/2024 तक, रवांडा में औसत जीडीपी 460.16 अरब RWF था। 1/3/2024 को सबसे उच्चतम मूल्य 657 अरब RWF दर्ज किया गया था, जबकि सबसे निम्नतम मूल्य 1/3/2006 को 268 अरब RWF दर्ज किया गया।
कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ·
३ वर्ष
5 वर्ष
10 वर्ष
२५ वर्ष
मैक्स
कृषि से सकल घरेलू उत्पाद | |
---|---|
1/3/2006 | 268 अरब RWF |
1/6/2006 | 271 अरब RWF |
1/9/2006 | 315 अरब RWF |
1/12/2006 | 317 अरब RWF |
1/3/2007 | 288 अरब RWF |
1/6/2007 | 288 अरब RWF |
1/9/2007 | 312 अरब RWF |
1/12/2007 | 312 अरब RWF |
1/3/2008 | 313 अरब RWF |
1/6/2008 | 317 अरब RWF |
1/9/2008 | 325 अरब RWF |
1/12/2008 | 324 अरब RWF |
1/3/2009 | 337 अरब RWF |
1/6/2009 | 339 अरब RWF |
1/9/2009 | 350 अरब RWF |
1/12/2009 | 350 अरब RWF |
1/3/2010 | 351 अरब RWF |
1/6/2010 | 353 अरब RWF |
1/9/2010 | 372 अरब RWF |
1/12/2010 | 370 अरब RWF |
1/3/2011 | 367 अरब RWF |
1/6/2011 | 368 अरब RWF |
1/9/2011 | 394 अरब RWF |
1/12/2011 | 379 अरब RWF |
1/3/2012 | 390 अरब RWF |
1/6/2012 | 396 अरब RWF |
1/9/2012 | 406 अरब RWF |
1/12/2012 | 419 अरब RWF |
1/3/2013 | 415 अरब RWF |
1/6/2013 | 424 अरब RWF |
1/9/2013 | 410 अरब RWF |
1/12/2013 | 415 अरब RWF |
1/3/2014 | 435 अरब RWF |
1/6/2014 | 443 अरब RWF |
1/9/2014 | 448 अरब RWF |
1/12/2014 | 450 अरब RWF |
1/3/2015 | 454 अरब RWF |
1/6/2015 | 467 अरब RWF |
1/9/2015 | 472 अरब RWF |
1/12/2015 | 470 अरब RWF |
1/3/2016 | 499 अरब RWF |
1/6/2016 | 491 अरब RWF |
1/9/2016 | 472 अरब RWF |
1/12/2016 | 474 अरब RWF |
1/3/2017 | 501 अरब RWF |
1/6/2017 | 507 अरब RWF |
1/9/2017 | 503 अरब RWF |
1/12/2017 | 516 अरब RWF |
1/3/2018 | 546 अरब RWF |
1/6/2018 | 543 अरब RWF |
1/9/2018 | 526 अरब RWF |
1/12/2018 | 537 अरब RWF |
1/3/2019 | 568 अरब RWF |
1/6/2019 | 570 अरब RWF |
1/9/2019 | 561 अरब RWF |
1/12/2019 | 561 अरब RWF |
1/3/2020 | 565 अरब RWF |
1/6/2020 | 561 अरब RWF |
1/9/2020 | 573 अरब RWF |
1/12/2020 | 579 अरब RWF |
1/3/2021 | 603 अरब RWF |
1/6/2021 | 602 अरब RWF |
1/9/2021 | 609 अरब RWF |
1/12/2021 | 609 अरब RWF |
1/3/2022 | 607 अरब RWF |
1/6/2022 | 614 अरब RWF |
1/9/2022 | 618 अरब RWF |
1/12/2022 | 623 अरब RWF |
1/3/2023 | 612 अरब RWF |
1/6/2023 | 613 अरब RWF |
1/9/2023 | 636 अरब RWF |
1/12/2023 | 642 अरब RWF |
कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इतिहास
तारीख | मूल्य |
---|---|
1/12/2023 | 642 अरब RWF |
1/9/2023 | 636 अरब RWF |
1/6/2023 | 613 अरब RWF |
1/3/2023 | 612 अरब RWF |
1/12/2022 | 623 अरब RWF |
1/9/2022 | 618 अरब RWF |
1/6/2022 | 614 अरब RWF |
1/3/2022 | 607 अरब RWF |
1/12/2021 | 609 अरब RWF |
1/9/2021 | 609 अरब RWF |
कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समान मैक्रो संकेतक
नाम | वर्तमान | पिछला | फ्रीक्वेंसी |
---|---|---|---|
🇷🇼 खनन से सकल घरेलू उत्पाद | 51 अरब RWF | 48 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 निर्माण क्षेत्र से सकल घरेलू उत्पाद | 210 अरब RWF | 193 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 परिवहन क्षेत्र से सकल घरेलू उत्पाद | 149 अरब RWF | 155 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद | 994.23 USD | 939.73 USD | वार्षिक |
🇷🇼 वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर | 9.7 % | 10 % | तिमाही |
🇷🇼 विनिर्माण से सकल घरेलू उत्पाद | 265 अरब RWF | 276 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 सकल घरेलू उत्पाद | 14.1 अरब USD | 13.32 अरब USD | वार्षिक |
🇷🇼 सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास दर | -0.8 % | 4.1 % | तिमाही |
🇷🇼 सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति क्रय शक्ति समता | 3,029.59 USD | 2,863.52 USD | वार्षिक |
🇷🇼 सकल पूंजीगत निवेश | 1.026 जैव. RWF | 780 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 संपूर्ण वर्ष की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि | 8.2 % | 8.2 % | वार्षिक |
🇷🇼 सार्वजनिक प्रशासन से सकल घरेलू उत्पाद | 151 अरब RWF | 169 अरब RWF | तिमाही |
🇷🇼 सेवाओं से सकल घरेलू उत्पाद | 1.492 जैव. RWF | 1.548 जैव. RWF | तिमाही |
🇷🇼 स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद | 3.006 जैव. RWF | 3.03 जैव. RWF | तिमाही |
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कृषि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) क्या है?
जीडीपी से कृषि: एक समग्र दृष्टिकोण ईलरपूल पर हम सभी प्रमुख आर्थिक संकेतकों की गहन जानकारी प्रदान करते हैं। इनमें से एक अत्यधिक महत्वपूर्ण सूचकांक 'जीडीपी से कृषि' है। यह सूचकांक न केवल भारत जैसी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। इस लेख में, हम 'जीडीपी से कृषि' की महत्ता, इसके तत्व, इसके प्रमुख कारक, और इसके प्रभाव का विश्लेषण करेंगे ताकि हमारे पाठकों को इस मानक की गहरी समझ प्राप्त हो सके। 'जीडीपी से कृषि' को समझना जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) किसी देश की आर्थिक स्थिति का एक प्रमुख मापक है, और 'जीडीपी से कृषि' उस जीडीपी का एक उपखंड है जो कृषि संबंधी गतिविधियों से उत्पन्न होता है। इसमें फसल उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन, वनीकरण, और कृषि-आधारित उद्योग शामिल होते हैं। इसे अक्सर 'कृषि जीडीपी' भी कहा जाता है। महत्ता और भूमिका भारत जैसे कृषि प्रधान देश में, कृषि जीडीपी का विशेष महत्व है। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी संस्थाएं भी इसे महत्वपूर्ण मानती हैं क्योंकि यह सूचकांक न केवल कृषि के प्रति जीडीपी में योगदान को दर्शाता है, बल्कि व्यापक आर्थिक स्थिरता एवं वृद्धि का भी प्रतीक है। कृषि क्षेत्र में वृद्धि राष्ट्रीय आय में सीधे-सीधे योगदान करती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करती है। प्रमुख तत्व कृषि जीडीपी के विभिन्न तत्व हैं जो इसे आकार देते हैं। सबसे प्रमुख हैं: 1. **फसल उत्पादन**: फसल Production का जीडीपी में बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें मुख्य रूप से अनाज, दलहन, तिलहन, और बागवानी की फसलें शामिल होती हैं। 2. **पशुपालन**: डेयरी उत्पाद, मांस, और ऊन जैसे तत्व पशुपालन से उत्पन्न होते हैं। 3. **मत्स्य पालन और जलीय कृषि**: इसमें मछलियों के उत्पादन और अन्य जलीय उत्पाद शामिल होते हैं। 4. **वनीकरण और संबद्ध क्रियाकलाप**: लकड़ी और गैर-लकड़ी उत्पादों का उत्पादन भी इसमें शामिल होता है। 5. **कृषि-आधारित उद्योग**: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, जैव-ऊर्जा उत्पादन, और कृषि यंत्र निर्माण भी कृषि जीडीपी में योगदान करते हैं। भौगोलिक और जलवायु संबंध कृषि जीडीपी का एक महत्वपूर्ण पहलू भी यह है कि यह भौगोलिक और जलवायु परिवर्तन से बेहद प्रभावित होता है। किसी विशेष क्षेत्र की जलवायु और भौगोलिक स्थितियां यह निर्धारित करती हैं कि वहां कौन सी फसलें सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं। विभिन्न मौसमों में विभिन्न फसलों का उत्पादन, मौसमी संकट, सूखा, बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। नीतिगत सुधार और सरकारी पहल भारत में कृषि जीडीपी को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न नीतिगत सुधार और योजनाएं लागू करती हैं। पीएम किसान, कृषि बीमा योजना, और विभिन्न कृषि-आधारित सब्सिडी जैसी योजनाएं किसानों की आय को सुनिश्चित करती हैं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देती हैं। सरकारें अनुसंधान और विकास (R&D) में भी निवेश करती हैं ताकि नई तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करके पैदावार में वृद्धि की जा सके। चुनौतियां और समस्याएं हालांकि कृषि जीडीपी महत्त्वपूर्ण है, इस क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं जिन्हें सुलझाना आवश्यक है। असमान भूमिभुगतान, वितरण प्रणाली की खामियां, जलवायु परिवर्तन, और लगातार बढ़ती जनसंख्या की मांग पूरी करने जैसी चुनौतियां प्रमुख हैं। इन चुनौतियों का समाधान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तकनीकी उन्नति, और स्थायी कृषि विधियों के माध्यम से किया जाना चाहिए। तकनीकी उन्नति और कृषि जीडीपी हाल के वर्षों में कृषि में तकनीकी उन्नति ने कृषि जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आधुनिक कृषि यंत्र, सिंचाई के बेहतर साधन, जैव प्रौद्योगिकी, और डिजिटल कृषि प्रणाली किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि कर रहे हैं। ड्रोन, सैटेलाइट इमेजरी, और IoT डिवाइस का उपयोग भी कृषि संचालन को कारगर बनाने में सहायक है। समग्र आर्थिक प्रभाव कृषि जीडीपी का समग्र आर्थिक प्रभाव कई पहलुओं में देखा जा सकता है। यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करता है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा, कच्चे माल की उपलब्धता, और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी योगदान करता है। कृषि और संबंधित क्षेत्रों में निवेश राष्ट्रीय आय और विकास दर को भी प्रभावित करता है। भविष्य की दिशा आने वाले समय में, कृषि जीडीपी का भविष्य बहुत हद तक विभिन्न नीतिगत और तकनीकी नवाचारों पर निर्भर करेगा। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, कृषि आधारभूत संरचना में सुधार, और वैश्विक बाजारों में कृषि उत्पादों की पहुँच को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र को और अधिक मजबूत और स्थायी बनाया जा सकता है। निष्कर्ष ईलरपूल पर 'जीडीपी से कृषि' की यह विस्तृत चर्चा इस विषय की गहराई और व्यापकता को उजागर करती है। यह सूचकांक न केवल कृषि की महत्ता को दर्शाता है, बल्कि सम्पूर्ण देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को भी प्रतिबिंबित करता है। मौजूदा चुनौतियाँ और संभावनाएँ इस बात की ओर संकेत करती हैं कि कृषि जीडीपी को बढ़ावा देने के लिए समर्पित प्रयास, सामूहिक सहयोग, और नवाचार की अत्यधिक आवश्यकता है। इसका सम्पूर्ण प्रभाव तभी महसूस किया जा सकता है जब सभी संबंधित पक्ष एकीकृत रूप से काम करें और विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं।