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अंगोला ब्याज दर

शेयर मूल्य

19.5 %
परिवर्तन +/-
+0.5 %
प्रतिशत में परिवर्तन
+2.60 %

अंगोला में मौजूदा ब्याज दर का मूल्य 19.5 % है। अंगोला में ब्याज दर 1/5/2024 को बढ़कर 19.5 % हो गई, जबकि 1/3/2024 को यह 19 % थी। 31/1/2002 से 17/5/2024 तक, अंगोला में औसत जीडीपी 35.22 % थी। सर्वकालिक उच्च स्तर 31/1/2002 को 150 % के साथ हासिल किया गया, जबकि सबसे कम मूल्य 28/7/2014 को 8.75 % दर्ज किया गया।

स्रोत: National Bank of Angola

ब्याज दर

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

ब्याज दर

ब्याज दर इतिहास

तारीखमूल्य
1/5/202419.5 %
1/3/202419 %
1/2/202418 %
1/1/202418 %
1/12/202318 %
1/11/202318 %
1/10/202317 %
1/9/202317 %
1/8/202317 %
1/7/202317 %
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ब्याज दर के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
🇦🇴
इंटरबैंक दर
17.8 %12.78 %मासिक
🇦🇴
केंद्रीय बैंक का बैलेंस शीट
17.009 जैव. AOA16.848 जैव. AOAमासिक
🇦🇴
क्रेडिट ब्याज दर
20.5 %20.5 %मासिक
🇦🇴
जमा ब्याज दर
6.85 %7.1 %वार्षिक
🇦🇴
नकदी आरक्षित अनुपात
22 %22 %मासिक
🇦🇴
निजी क्षेत्र को दिए गए क्रेडिट
5.449 जैव. AOA5.349 जैव. AOAमासिक
🇦🇴
बैंकों को दिए गए कर्ज
638.083 अरब AOA710.221 अरब AOAमासिक
🇦🇴
मुद्रा आपूर्ति M1
8.322 जैव. AOA8.259 जैव. AOAमासिक
🇦🇴
मुद्रा आपूर्ति M2
15.873 जैव. AOA15.847 जैव. AOAमासिक
🇦🇴
मुद्रा भंडार
14.404 अरब USD14.491 अरब USDमासिक
🇦🇴
मुद्रा समूह M3
15.873 जैव. AOA15.847 जैव. AOAमासिक

अंगोला में, ब्याज दर के निर्णय अंगोला के राष्ट्रीय बैंक (Banco Nacional de Angola) द्वारा लिए जाते हैं। 24 मई 2018 को, केंद्रीय बैंक ने मार्जिनल लेंडिंग सुविधा दर और बेसिक ब्याज दर को एकीकृत किया, जिससे बीएनए दर (Taxa BNA) का निर्माण हुआ जो नई बेंचमार्क ब्याज दर बन गई। तब तक, प्रमुख दर Taxa Básica de Juro (Taxa BNA) थी और अक्टूबर 2011 तक आधिकारिक ब्याज दर डिस्काउंट दर (Taxa de Redesconto) थी।

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ब्याज दर क्या है?

ईलरपूल पर हम आपको व्यापक और अत्याधुनिक मैक्रोइकोनॉमिक डेटा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज, हम आपके लिए एक विस्तृत पेशेवर विवरण लेकर आए हैं जो हमारे ‘ब्याज दर’ (Interest Rate) श्रेणी की गहराई से व्याख्या करेगा। ब्याज दर एक आर्थिक संकेतक है जिसका प्रभाव केवल राष्ट्रीय नहीं बल्कि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर भी पड़ता है। यह न केवल केंद्रीय बैंकों द्वारा निर्धारित की जाती है, बल्कि विभिन्न वित्तीय संस्थाओं और बाजार की शक्तियों के प्रभाव से भी प्रभावित होती है। ब्याज दर का प्राथमिक उद्देश्य अर्थव्यवस्था में उधार और निवेश को प्रोत्साहित या निरुत्साहित करना है। जब भी हम ब्याज दर की बात करते हैं, तो हमें सबसे पहले समझना चाहिए कि यह कई रूपों में हो सकती है। इनमें मुख्य रूप से पॉलिसी रेट (Policy Rate), फेडरल फंड्स रेट (Federal Funds Rate), लिबर (LIBOR - London Interbank Offered Rate) और प्राइम रेट (Prime Rate) शामिल हैं। इनमें से हर एक दर का अलग-अलग संदर्भ और प्रभाव होता है, जिससे वित्तीय बाजारों में तरलता और ऋण की उपलब्धता पर असर पड़ता है। केंद्रिय बैंक, जैसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), ब्याज दरों को निर्धारित और नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए, रेपो दर (Repo Rate) वह दर है जिस पर केंद्री बैंक वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए धन उधार देता है। रेपो दर में वृद्धि का सीधा अर्थ होता है कि उधारी महंगी हो जाएगी, जिससे ऋण की मांग में कमी आएगी और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके विपरीत, रेपो दर में कटौती से उधारी सस्ती हो जाएगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी। ब्याज दरें भी मुद्रास्फीति नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। जब किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दर बढ़ जाती है, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने का प्रयास करता है। उच्च ब्याज दरों के कारण लोग बचत करने को प्रेरित होते हैं और खर्च में कटौती करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की अतिशय गर्मी को ठंडा किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर, निम्न ब्याज दरें आर्थिक मंदी के समय में निवेश और खर्च को प्रोत्साहित करने हेतु लागू की जाती हैं। यह सस्ती ऋण की सुविधा प्रदान करती हैं, जिससे छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) के लिए व्यवसाय विस्तार करना आसान हो जाता है। ब्याज दरों का प्रभाव न केवल घरेलू आर्थिक गतिविधियों पर होता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों पर भी पड़ता है। अधिक ब्याज दर वाले देश में विदेशी निवेशक अधिक आकर्षित होते हैं, क्योंकि उन्हें उच्च रिटर्न मिलने की संभावना होती है। इसके परिणामस्वरूप, संबंधित देश की मुद्रा की मांग बढ़ती है, जिससे उसकी कीमत में मजबूती आती है। फिर भी, उच्च ब्याज दरें घरेलू निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। महंगे ऋण के कारण व्यवसाय विस्तार धीमा हो सकता है और उपभोक्ता खर्च में भी कमी आ सकती है। संक्षेप में, ब्याज दरें एक ऐसा संतुलनकारी साधन हैं जो केंद्रीय बैंक और वित्तीय संस्थाएं अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए प्रयोग करती हैं। यह न केवल मुद्रास्फीति और तरलता को नियंत्रित करता है बल्कि निवेश, व्यय और आर्थिक विकास पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। ईलरपूल पर हमारे विश्लेषक और विशेषज्ञ नियमित रूप से ब्याज दरों पर विस्तृत और अद्यतित जानकारी प्रदान करते हैं। हमारी वेबसाइट पर आप न केवल भारतीय रिजर्व बैंक की गतिविधियों को ट्रैक कर सकते हैं, बल्कि वैश्विक केंद्रीय बैंकों के निर्णयों और उनके प्रभावों की भी जानकारी पा सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपके लिए एक समग्र और विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है ताकि आप अपनी निवेश रणनीतियों और आर्थिक निर्णयों को सही दिशा में ले जा सकें। ईलरपूल आपके व्यवसायिक और व्यक्तिगत आर्थिक निर्णयों में सहायक बनने के लिए सदैव तत्पर है। इसलिए, नियमित रूप से हमारी वेबसाइट पर आकर नवीनतम मैक्रोइकोनॉमिक डेटा के माध्यम से अपने आपको अपडेट रखें।