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थाईलैंड व्यक्तिगत खर्च

शेयर मूल्य

1.6 %
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+1.5 %
प्रतिशत में परिवर्तन
+176.47 %

थाईलैंड में वर्तमान व्यक्तिगत खर्च 1.6 % है। थाईलैंड में व्यक्तिगत खर्च 1.6 % पर 1/4/2024 को बढ़ गया, इसके पहले यह 1/2/2024 को 0.1 % था। 1/2/2010 से 1/5/2024 तक, थाईलैंड में औसत GDP 0.28 % था। सबसे उच्चतम मान 1/5/2020 को 6.6 % पर पहुंचा, जबकि सबसे निम्नतम मान 1/4/2020 को -9.6 % पर दर्ज किया गया।

स्रोत: Bank of Thailand

व्यक्तिगत खर्च

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

व्यक्तिगत व्यय

व्यक्तिगत खर्च इतिहास

तारीखमूल्य
1/4/20241.6 %
1/2/20240.1 %
1/11/20230.7 %
1/10/20231.8 %
1/7/20231 %
1/5/20230.9 %
1/4/20231.2 %
1/3/20230.6 %
1/2/20230.4 %
1/1/20230.5 %
1
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3
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...
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व्यक्तिगत खर्च के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
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उपभोक्ता ऋण
5.479 जैव. THB5.439 जैव. THBतिमाही
🇹🇭
उपभोक्ता व्यय
1.642 जैव. THB1.634 जैव. THBतिमाही
🇹🇭
उपभोक्था विश्वास
60.5 points62.1 pointsमासिक
🇹🇭
खुदरा बिक्री YoY
15.3 %-3.7 %मासिक
🇹🇭
घरेलू ऋण से सकल घरेलू उत्पाद
91.8 % of GDP91.7 % of GDPतिमाही
🇹🇭
पेट्रोल की कीमतें
1.05 USD/Liter1.04 USD/Literमासिक
🇹🇭
बैंक क्रेडिट ब्याज दर
7 %7 %मासिक
🇹🇭
व्यक्तिगत बचत
2 %10.4 %वार्षिक

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज एशिया

व्यक्तिगत खर्च क्या है?

व्यक्तिगत खर्च: एक व्यापक विश्लेषण व्यक्तिगत खर्च, जिसे व्यक्तित्वगत व्यय भी कहा जा सकता है, मैक्रोइकॉनॉमिक श्रेणी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यक्तिगत खर्च का अर्थ व्यक्ति या घर परिवार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए खर्च से है। इसमें आवश्यकताओं से लेकर विलासिता तक की वस्तुएँ शामिल होती हैं, जैसे कि भोजन, वस्त्र, आवास, स्वास्थ्य सेवा, मनोरंजन इत्यादि। व्यक्तिगत खर्च अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को प्रभावित करता है और इसकी माप से अर्थव्यवस्था की स्थिति और संभावनाओं का अच्छा अनुमान लगाया जा सकता है। व्यक्तिगत खर्च के डेटा को अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक मुख्य संकेतक माना जाता है। जब उपभोक्ता अधिक खर्च करते हैं, तो यह संकेत देता है कि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है और वे अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करने में संकोच नहीं कर रहे हैं। इसके विपरीत, जब व्यक्तिगत खर्च में कमी आती है तो यह आर्थिक मंदी का संकेत हो सकता है। व्यक्तिगत खर्च के कई घटक हैं, जिनमें से प्रत्येक अर्थव्यवस्था पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, भोजन और वस्त्र जैसी आवश्यक वस्तुओं पर किया गया खर्च उपभोक्ता विश्वास का प्रत्यक्ष संकेत होता है। वहीं, लक्जरी वस्तुओं और सेवाओं पर किया गया खर्च आर्थिक समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है। आवास और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यक्तियों और घर परिवारों के दीर्घकालिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की चिंताओं को दर्शाता है। भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में, व्यक्तिगत खर्च का मापन न केवल विकास के संकेतक के रूप में किया जाता है, बल्कि यह विभिन्न आर्थिक नीतियों की सफलता का भी मापन करता है। विभिन्न सुधारों और योजनाओं की सफलता का आकलन करने के लिए व्यक्तिगत खर्च के आंकड़े महत्वपूर्ण होते हैं। यह समीक्षा करना आवश्यक होता है कि क्या ये नीतियाँ उपभोक्ताओं के खर्च व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं या नहीं। वर्तमान में, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था डिजिटल हो रही है, व्यक्तिगत खर्च का ट्रैकिंग और विश्लेषण करना भी अपेक्षाकृत आसान हो गया है। ऑनलाइन खरीदारी और डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों के माध्यम से उपभोक्ता व्यवहार का विश्लेषण तेजी से और अधिक सटीकता के साथ किया जा सकता है। यह डेटा नीति निर्माताओं और व्यवसायों को अपने रणनीतिक निर्णयों को अनुकूलित करने में मदद करता है। व्यक्तिगत खर्च के पैटर्न को समझना विभिन्न प्रकार के विश्लेषणों और अध्ययनों के लिए आवश्यक है। यह न केवल उपभोक्ता व्यवहार के बारे में जानकारी प्रदान करता है, बल्कि यह विभिन्न उद्योगों के प्रदर्शन और विकास को भी प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, बढ़ती हुई व्यक्तिगत खर्च में वृद्धि से रिटेल क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते हुए खर्च से हस्पताल और मेडिसिन उद्योगों में उछाल आ सकता है। आर्थिक सुधार और व्यक्तिगत खर्च के बीच का संबंध भी बहुत महत्वपूर्ण है। जब सरकारें कर कटौती, सब्सिडी, या अन्य प्रोत्साहन योजनाएँ लागू करती हैं, तो इसका सीधा प्रभाव उपभोक्ता खर्च पर पड़ सकता है। इसे "उपभोक्ता विश्वास संकेतक" भी कहा जाता है। जब उपभोक्ताओं को अपनी आर्थिक स्थिति पर विश्वास होता है, तो वे अपने खर्च को बढ़ाते हैं, जो अंततः अर्थव्यवस्था को गतिशीलता और विकास की दिशा में आगे बढ़ाता है। व्यक्तिगत खर्च का अध्ययन न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों के उपभोक्ता खर्च के पैटर्न का तुलनात्मक अध्ययन से वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न प्रभावों को समझा जा सकता है। इससे आर्थिक संकटों के समय में भी प्रमुख नीतिगत निर्णय लेने में सहायता मिलती है। उदाहरण के लिए, 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के समय, विभिन्न देशों के व्यक्तिगत खर्च के पैटर्न का अध्ययन कर वैश्विक उदासीनता का मुकाबला करने के लिए कारगर रणनीतियाँ बनाई गईं। निजी विकलांगियों और व्यक्तिगत खर्च के बीच का संबंध भी अत्यधिक गहरा है। जैसे-जैसे एक व्यक्ति की आय बढ़ती है, वैसे-वैसे उसका खर्च पैटर्न भी बदलता है। उच्च आय वाले व्यक्ति और परिवार अधिक मात्रा में विलासिता और मनोरंजन पर खर्च करते हैं, जबकि निम्न आय वाले परिवारों का अधिकांश खर्च आवश्यकताओं पर होता है। इस प्रकार, व्यक्तिगत खर्च के अध्ययन से समाज के विभिन्न वर्गों के जीवनस्तर और सामाजिक असमानताओं का भी स्पष्ट चित्रण किया जा सकता है। नवीनतम तकनीकी सुधारों और डिजिटल उद्यमिता के प्रसार ने भी व्यक्तिगत खर्च पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। ऑनलाइन खरीदारी और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों ने उपभोक्ताओं के खर्च करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। डिजिटल भुगतान सिस्टम ने ट्रांजेक्शन को अधिक सुरक्षित और त्वरित बना दिया है, जिससे ग्राहक ट्रेडिशनल मार्ट्स के अलावा ऑनलाइन स्टोर्स पर भी सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। संक्षेप में, व्यक्तिगत खर्च एक ऐसा व्यापक और जटिल विषय है जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। यह केवल एक आर्थिक संकेतक नहीं है, बल्कि एक समाज की समग्र प्रगति, समृद्धि और विकलांगता के स्तर का मापन भी दर्शाता है। व्यक्तिगत खर्च की समझ से न केवल आर्थिक नीतियों को बेहतर बनाया जा सकता है, बल्कि यह व्यवसायों और उपभोक्ताओं को भी अधिक समझदारीपूर्ण निर्णय लेने में सहायता प्रदान करता है। ई-उलरपूल जैसी वेबसाइटें जो मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा प्रस्तुत करती हैं, व्यक्तिगत खर्च संबंधी विस्तृत और सटीक जानकारी प्रदान करके उपयोगकर्ताओं को अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती हैं। इससे डेटा-चालित निर्णय लेने की प्रक्रिया और भी अधिक प्रभावशाली और सटीक बन जाती है।