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🇮🇸

आइलैंड अंतरबैंक दर

शेयर मूल्य

8 %
परिवर्तन +/-
-0.082 %
प्रतिशत में परिवर्तन
-1.03 %

आइलैंड में वर्तमान अंतरबैंक दर का मूल्य 8 % है। आइलैंड में अंतरबैंक दर 1/3/2025 को 8.082 % पर था, जो 1/4/2025 को घटकर 8 % हो गया। 4/8/1998 से 28/3/2025 तक, आइलैंड में औसत GDP 7.64 % था। सर्वकालिक उच्चतम मूल्य 28/10/2008 को 18.6 % के साथ पहुंचा गया, जबकि सबसे कम मूल्य 2/12/2020 को 1.23 % पर दर्ज किया गया।

स्रोत: Central Bank of Iceland

अंतरबैंक दर

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

इंटरबैंक दर

अंतरबैंक दर इतिहास

तारीखमूल्य
1/4/20258 %
1/3/20258.082 %
1/2/20258.162 %
1/1/20258.482 %
1/12/20248.586 %
1/11/20248.963 %
1/10/20249.234 %
1/9/20249.61 %
1/8/20249.642 %
1/7/20249.662 %
1
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...
32

अंतरबैंक दर के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
🇮🇸
केंद्रीय बैंक का बैलेंस शीट
935.884 अरब ISK940.014 अरब ISKमासिक
🇮🇸
निजी ऋण से सकल घरेलू उत्पाद
242.91 %275.32 %वार्षिक
🇮🇸
बैंकों का बैलेंस शीट
5.903 जैव. ISK5.891 जैव. ISKमासिक
🇮🇸
ब्याज दर
7.75 %8 %frequency_daily
🇮🇸
मुद्रा आपूर्ति M0
150.865 अरब ISK162.145 अरब ISKमासिक
🇮🇸
मुद्रा आपूर्ति M1
729.101 अरब ISK737.173 अरब ISKमासिक
🇮🇸
मुद्रा आपूर्ति M2
2.165 जैव. ISK2.193 जैव. ISKमासिक
🇮🇸
मुद्रा भंडार
898.463 अरब ISK902.405 अरब ISKमासिक
🇮🇸
मुद्रा समूह M3
3.114 जैव. ISK3.141 जैव. ISKमासिक

आइसलैंड में, अंतरबैंक दर वह ब्याज दर है जो बैंकों के बीच किए गए अल्पकालिक ऋणों पर लगाई जाती है।

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज यूरोप

अंतरबैंक दर क्या है?

इंटरबैंक दर: परिचय और महत्व इंटरबैंक दर को समझने के लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि यह दर क्या होती है और इसका आर्थिक परिदृश्य में क्या महत्व है। इंटरबैंक दर उस ब्याज दर को कहते हैं जिस पर बैंक एक-दूसरे को अल्पकालिक ऋण प्रदान करते हैं। ये ऋण आमतौर पर एक दिन से लेकर एक सप्ताह तक के अवधि के होते हैं। इंटरबैंक दर मौद्रिक नीति के संचालन, वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इंटरबैंक दर का निर्धारण: इंटरबैंक दर का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, बाजार की तरलता, बैंकिंग प्रणाली की मांग और आपूर्ति आदि शामिल हैं। अधिकांश देशों में केंद्रीय बैंक इस दर को नियंत्रित करता है ताकि आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जा सके। उदाहरण के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने विभिन्न मौद्रिक उपकरणों के माध्यम से इंटरबैंक दर को नियंत्रित करता है। इंटरबैंक दर का प्रभाव: इंटरबैंक दर का सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। उच्च इंटरबैंक दरें बैंकों के लिए उधार लेना महंगा बना देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को ऋण देने में संकोच करते हैं। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता खर्च और निवेश में कमी आती है, जिससे आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। वहीं दूसरी ओर, निम्न इंटरबैंक दरें बैंकों को सस्ता उधार लेने की अनुमति देती हैं, जिससे ऋण प्रदान करना सरल हो जाता है और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय स्थिरता: इंटरबैंक दर बैंकिंग प्रणाली की तरलता और वित्तीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। जब इंटरबैंक दरें स्थिर होती हैं, तो इसका मतलब है कि बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता है, और बैंक एक-दूसरे पर विश्वास रखते हैं। इसके विपरीत, अस्थिर या उच्च इंटरबैंक दरें संकेत देती हैं कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी है और बैंक एक-दूसरे को उधार देने में संकोच करते हैं। मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति: इंटरबैंक दर का एक महत्वपूर्ण प्रभाव मुद्रास्फीति पर भी पड़ता है। केंद्रीय बैंक आमतौर पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए इंटरबैंक दर को संशोधित करते हैं। यदि मुद्रास्फीति अधिक होती है, तो केंद्रीय बैंक इंटरबैंक दर को बढ़ा सकता है ताकि आर्थिक गतिविधियों को धीमा किया जा सके और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके विपरीत, यदि मुद्रास्फीति कम होती है या अर्थव्यवस्था मंदी की ओर अग्रसर है, तो केंद्रीय बैंक इंटरबैंक दर को घटा सकता है ताकि आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकें और मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सके। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार: इंटरबैंक दर का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार पर भी पड़ता है। उच्च इंटरबैंक दरें विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक होती हैं, जिससे वे उस देश की मुद्रा में निवेश करते हैं और मुद्रा की मांग बढ़ती है। इसके विपरीत, निम्न इंटरबैंक दरें विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती हैं और मुद्रा की मांग कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि संयुक्त राज्य अमेरिका की फेडरल रिजर्व अपनी इंटरबैंक दर बढ़ाता है, तो अन्य देशों के निवेशक अधिक रिटर्न की उम्मीद में यूएस डॉलर में निवेश करेंगे। इससे यूएस डॉलर की मांग में वृद्धि होगी और अमेरिकी आर्थिक स्थिरता को बल मिलेगा। इंटरबैंक दर का दीर्घकालिक प्रभाव: इंटरबैंक दरों का प्रभाव केवल अल्पकालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक भी होता है। इंटरबैंक दरों के विस्तारित उच्च स्तर से उपभोक्ता और व्यवसायिक निवेशों में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता आती है। वहीं दूसरी ओर, निम्न इंटरबैंक दरें ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं, जिससे लंबे समय में आर्थिक वृद्धि संभव हो सकती है। निष्कर्ष: इंटरबैंक दरें किसी भी देश की आर्थिक संरचना और वित्तीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह दर केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है और इसके माध्यम से मुद्रास्फीति, आर्थिक गतिविधियों, और वित्तीय स्थिरता को नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा, इंटरबैंक दर का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार पर भी पड़ता है, जिससे व्यापक आर्थिक परिदृश्य को समझने में सहायता मिलती है। अतः, इंटरबैंक दर को समझना और उसका विश्लेषण करना वित्तीय पेशेवरों, निवेशकों, और नीति निर्माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से वे आर्थिक दिशा निर्देश तय कर सकते हैं और भविष्य की वित्तीय योजनाएं बना सकते हैं। eulerpool जैसी प्रोफेशनल वेबसाइट्स पर इंटरबैंक दर और अन्य मैक्रो आर्थिक डेटा का समय समय पर निरीक्षण और विश्लेषण करने से हितधारक सही निर्णय ले सकते हैं और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।