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2 यूरो में सुरक्षित करेंइज़राइल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय
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इज़राइल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय का वर्तमान मूल्य 45.1 % of GDP है। 1/1/2024 को इज़राइल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय बढ़कर 45.1 % of GDP हो गया, जबकि 1/1/2023 को यह 41.5 % of GDP था। 1/1/1960 से 1/1/2024 तक इज़राइल में औसत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय 50.36 % of GDP रहा। 1/1/1975 को 80.1 % of GDP के साथ सबसे उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था, जबकि सबसे कम मूल्य 1/1/1961 को 28.1 % of GDP दर्ज किया गया था।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय ·
३ वर्ष
5 वर्ष
10 वर्ष
२५ वर्ष
मैक्स
राज्य व्यय से सकल घरेलू उत्पाद | |
---|---|
1/1/1960 | 28.6 % of GDP |
1/1/1961 | 28.1 % of GDP |
1/1/1962 | 29 % of GDP |
1/1/1963 | 28.9 % of GDP |
1/1/1964 | 29.8 % of GDP |
1/1/1965 | 30.8 % of GDP |
1/1/1966 | 33.8 % of GDP |
1/1/1967 | 37.5 % of GDP |
1/1/1968 | 45.5 % of GDP |
1/1/1969 | 46.6 % of GDP |
1/1/1970 | 58.9 % of GDP |
1/1/1971 | 59 % of GDP |
1/1/1972 | 58.9 % of GDP |
1/1/1973 | 73.7 % of GDP |
1/1/1974 | 74.9 % of GDP |
1/1/1975 | 80.1 % of GDP |
1/1/1976 | 79.6 % of GDP |
1/1/1977 | 76.1 % of GDP |
1/1/1978 | 77.6 % of GDP |
1/1/1979 | 75.5 % of GDP |
1/1/1980 | 75.9 % of GDP |
1/1/1981 | 72.8 % of GDP |
1/1/1982 | 69.5 % of GDP |
1/1/1983 | 64.4 % of GDP |
1/1/1984 | 68.8 % of GDP |
1/1/1985 | 64.5 % of GDP |
1/1/1986 | 59.7 % of GDP |
1/1/1987 | 57.3 % of GDP |
1/1/1988 | 56.3 % of GDP |
1/1/1989 | 55.6 % of GDP |
1/1/1990 | 54.8 % of GDP |
1/1/1991 | 53.4 % of GDP |
1/1/1992 | 54.3 % of GDP |
1/1/1993 | 53.5 % of GDP |
1/1/1994 | 49.1 % of GDP |
1/1/1995 | 53.3 % of GDP |
1/1/1996 | 54 % of GDP |
1/1/1997 | 52.5 % of GDP |
1/1/1998 | 51 % of GDP |
1/1/1999 | 46.5 % of GDP |
1/1/2000 | 44.2 % of GDP |
1/1/2001 | 46.8 % of GDP |
1/1/2002 | 50.6 % of GDP |
1/1/2003 | 46.1 % of GDP |
1/1/2004 | 43.7 % of GDP |
1/1/2005 | 43 % of GDP |
1/1/2006 | 42.3 % of GDP |
1/1/2007 | 40.8 % of GDP |
1/1/2008 | 41.9 % of GDP |
1/1/2009 | 42.1 % of GDP |
1/1/2010 | 40.7 % of GDP |
1/1/2011 | 40.3 % of GDP |
1/1/2012 | 40.4 % of GDP |
1/1/2013 | 40.5 % of GDP |
1/1/2014 | 38.9 % of GDP |
1/1/2015 | 38.6 % of GDP |
1/1/2016 | 38.9 % of GDP |
1/1/2017 | 39.7 % of GDP |
1/1/2018 | 40.3 % of GDP |
1/1/2019 | 39.7 % of GDP |
1/1/2020 | 46 % of GDP |
1/1/2021 | 42.2 % of GDP |
1/1/2022 | 39.3 % of GDP |
1/1/2023 | 41.5 % of GDP |
1/1/2024 | 45.1 % of GDP |
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय इतिहास
तारीख | मूल्य |
---|---|
1/1/2024 | 45.1 % of GDP |
1/1/2023 | 41.5 % of GDP |
1/1/2022 | 39.3 % of GDP |
1/1/2021 | 42.2 % of GDP |
1/1/2020 | 46 % of GDP |
1/1/2019 | 39.7 % of GDP |
1/1/2018 | 40.3 % of GDP |
1/1/2017 | 39.7 % of GDP |
1/1/2016 | 38.9 % of GDP |
1/1/2015 | 38.6 % of GDP |
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय के समान मैक्रो संकेतक
नाम | वर्तमान | पिछला | फ्रीक्वेंसी |
---|---|---|---|
🇮🇱 भ्रष्टाचार रैंक | 30 | 33 | वार्षिक |
🇮🇱 भ्रष्टाचार सूचकांक | 64 Points | 62 Points | वार्षिक |
🇮🇱 राजकीय व्यय | 107.226 अरब ILS | 107.292 अरब ILS | तिमाही |
🇮🇱 राजकोष | -6.8 % of GDP | -4.2 % of GDP | वार्षिक |
🇮🇱 राजकोष का मूल्य | -11.149 अरब ILS | -13.019 अरब ILS | मासिक |
🇮🇱 राजकोषीय ऋण से सकल घरेलू उत्पाद | 69 % of GDP | 61.3 % of GDP | वार्षिक |
🇮🇱 राजकोषीय व्यय | 59.465 अरब ILS | 57.66 अरब ILS | मासिक |
🇮🇱 राजस्व | 48.315 अरब ILS | 44.641 अरब ILS | मासिक |
🇮🇱 सैन्य व्यय | 46.505 अरब USD | 27.499 अरब USD | वार्षिक |
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सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सरकारी व्यय क्या है?
'Gross Domestic Product (GDP) में सरकारी व्यय की भूमिका' सरकारी खर्च और GDP के बीच के संबंध की समझ कोई साधारण अवधारणा नहीं है, बल्कि यह एक समग्र आर्थिक घटनाओं और नीतियों का जटिल मिश्रण है जो एक देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को प्रभावित करता है। 'Government Spending to GDP' (सरकारी खर्च से GDP) का अनुपात एक महत्वपूर्ण सूचकांक है जो यह दर्शाता है कि एक देश की सरकार द्वारा किए गए खर्च का हिस्सा उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के संदर्भ में कितना बड़ा है। इस सूचकांक का विश्लेषण न केवल नीति निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम नागरिकों के लिए भी एक अहम मापदंड है जो देश की आर्थिक नीतियों की दिशा और स्थायित्व को दर्शाता है। GDP किसी देश की आर्थिक निष्पादन क्षमता को मापता है, जबकि सरकारी खर्च उस सरकार की प्राथमिकताओं और आर्थिक नीति की दिशा की जानकारी देता है। जब हम सरकारी खर्च को GDP के संदर्भ में मापते हैं, तो यह माप हमारी समझ को गहरा करने में मदद करता है कि कैसे सरकारी निवेश और व्यय राष्ट्रीय आय, रोज़गार निर्माण, और सामाजिक कल्याण पर असर डालते हैं। इस संदर्भ में सरकारी खर्च कई अलग-अलग रूपों में होता है, जैसे कि बुनियादी ढांचे में निवेश, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा जाल। ये सभी खर्च समग्र आर्थिक विकास में योगदान करते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इस खर्च का वितरण और लक्ष्यीकरण प्रभावी और उत्पादक हो। यदि सरकारी खर्च अनुत्पादक क्षेत्रों में होता है, तो यह आर्थिक विषमता को बढ़ावा दे सकता है और देश की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। 'Government Spending to GDP' का अनुपात का विश्लेषण कुछ मुख्य पहलुओं के माध्यम से किया जा सकता है। 1. **आर्थिक विकास**: उच्च सरकारी खर्च का अर्थ यह हो सकता है कि सरकार विकासात्मक परियोजनाओं, बुनियादी ढांचे, और सार्वजनिक सेवाओं पर अधिक खर्च कर रही है। यह महत्वपूर्ण है कि यह खर्च उत्पादक और दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने वाला हो। उदाहरण के लिए, सड़कें, ब्रिज, और सार्वजनिक परिवहन में किया गया निवेश सीधे तौर पर आर्थिक क्रियाकलापों में वृद्धि कर सकता है और लंबे अवधि में लाभदायक सिद्ध हो सकता है। 2. **रोज़गार सृजन**: सरकारी खर्च का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह रोज़गार सृजन में किस प्रकार सहायक है। सरकारी परियोजनाओं में निवेश से नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं जो लोगों की आय बढ़ाते हैं और घरेलू मांग को प्रोत्साहित करते हैं। 3. **सामाजिक कल्याण**: सरकार द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में खर्च करने से समाज के दुर्बल वर्गों की सहायता होती है और आर्थिक विषमता को कम किया जा सकता है। इससे समग्र जीवनस्तर में सुधार होता है और मानव संसाधनों का विकास होता है, जो दीर्घकालिक आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। 4. **वित्तीय स्थायित्व**: उच्च सरकारी खर्च का अर्थ यह भी हो सकता है कि सरकार बजट घाटे (fiscal deficit) का सामना करने के लिए अधिक ऋण ले रही है। अगर सरकारी खर्च की वृद्धि ज्यामितीय रूप से बढ़ती है और आय के स्रोत स्थिर नहीं रहते तो इससे वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि सरकार अपने खर्च को संतुलित करने के लिए उपयुक्त और स्थायी वित्तीय नीतियां अपनाए। 5. **मुद्रा स्फीति**: अत्यधिक सरकारी खर्च अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को भी प्रभावित कर सकता है। जब सरकार अपने खर्च को पूरा करने के लिए ज्यादा पैसा चलन में लाती है, तो इससे मांग बढ़ सकती है और मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि हो सकती है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना केंद्रीय बैंकों और सरकारों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होती है। 6. **अंतरराष्ट्रीय निवेश**: 'Government Spending to GDP' अनुपात अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेतक है। विदेशी निवेशक अक्सर ऐसे देशों में निवेश करना पसंद करते हैं जिनकी सरकारी नीतियाँ स्थिर और संतुलित होती हैं। अतः, यह अनुपात देश की निवेश आकर्षित करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। **अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण और नियमन** सरकारी व्यय को नियंत्रित और नियोजित करने के लिए सरकारें विभिन्न विधियों का उपयोग करती हैं। उदाहरण के लिए: 1. **प्राथमिकता निर्धारण**: सरकारें अपने विभिन्न विभागों और योजनाओं के माध्यम से प्राथमिकताएं निर्धारित करती हैं। ये प्राथमिकताएं विकासात्मक परियोजनाओं, जनकल्याण योजनाओं और रक्षा खर्च पर केंद्रित हो सकती हैं। 2. **बजट प्रबंधन**: सरकारी व्यय को बजट के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। बजट प्रक्रिया में सरकार अपने राजस्व और व्यय का एक विस्तृत खाका तैयार करती है ताकि वित्तीय संतुलन बनाये रखा जा सके। 3. **नीति निर्माण**: सरकारी नीतियों का निर्माण ऐसे किया जाता है कि वे दीर्घकालिक स्थिरता और विकास को प्रोत्साहित करें। नीतियाँ कराधान, सब्सिडी, और अन्य वित्तीय उपायों के माध्यम से व्यय को नियंत्रित करने का प्रयास करती हैं। 4. **समीक्षा और मूल्यांकन**: सरकारी खर्च की निरंतर समीक्षा और मूल्यांकन महत्वपूर्ण है। इससे न केवल व्यय की उत्पादकता को परखा जाता है बल्कि आवश्यकतानुसार नीतिगत परिवर्तन भी किए जा सकते हैं। **निष्कर्ष** 'Government Spending to GDP' अनुपात किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का एक अहम सूचक है। यह अनुपात यह बताता है कि एक देश की अर्थव्यवस्था में सरकार का योगदान कितना है और सरकार की नीतियाँ और व्यय योजनाएं कितनी प्रभावी हैं। यह न केवल आर्थिक नीतियों के दिशा-निर्देश को समझने में मदद करता है बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक विकास और स्थिरता को भी संकेतित करता है। अतः, यह महत्वपूर्ण है कि सरकार अपने व्यय को सावधानीपूर्वक नियोजित और नियंत्रित करे ताकि आर्थिक स्थायित्व और समृद्धि को सुनिश्चित किया जा सके।