अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ निवेश करें

2 यूरो में सुरक्षित करें
Analyse
प्रोफ़ाइल
🇫🇮

फिनलैंड अंतरबैंक दर

शेयर मूल्य

3.577 %
परिवर्तन +/-
-0.109 %
प्रतिशत में परिवर्तन
-2.99 %

फिनलैंड में वर्तमान अंतरबैंक दर का मूल्य 3.577 % है। फिनलैंड में अंतरबैंक दर 1/7/2024 को 3.686 % पर था, जो 1/8/2024 को घटकर 3.577 % हो गया। 30/1/1987 से 12/8/2024 तक, फिनलैंड में औसत GDP 0.92 % था। सर्वकालिक उच्चतम मूल्य 29/12/1989 को 16.14 % के साथ पहुंचा गया, जबकि सबसे कम मूल्य 14/12/2021 को -0.61 % पर दर्ज किया गया।

स्रोत: European Banking Federation

अंतरबैंक दर

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

इंटरबैंक दर

अंतरबैंक दर इतिहास

तारीखमूल्य
1/8/20243.577 %
1/7/20243.686 %
1/6/20243.725 %
1/5/20243.814 %
1/4/20243.886 %
1/3/20243.922 %
1/2/20243.922 %
1/1/20243.931 %
1/12/20233.935 %
1/11/20233.971 %
1
2
3
4
5
...
37

अंतरबैंक दर के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
🇫🇮
केंद्रीय बैंक का बैलेंस शीट
166.203 अरब EUR117.928 अरब EURमासिक
🇫🇮
निजी ऋण से सकल घरेलू उत्पाद
229.1 %231.6 %वार्षिक
🇫🇮
निजी क्षेत्र को दिए गए क्रेडिट
108.84 अरब EUR108.761 अरब EURमासिक
🇫🇮
बैंकों का बैलेंस शीट
217.612 अरब EUR169.88 अरब EURमासिक
🇫🇮
मुद्रा आपूर्ति M0
26.346 अरब EUR26.31 अरब EURमासिक
🇫🇮
मुद्रा आपूर्ति M1
136.205 अरब EUR135.515 अरब EURमासिक
🇫🇮
मुद्रा आपूर्ति M2
159.389 अरब EUR160.773 अरब EURमासिक
🇫🇮
मुद्रा भंडार
15.542 अरब EUR15.522 अरब EURमासिक
🇫🇮
मुद्रा समूह M3
203.47 अरब EUR203.96 अरब EURमासिक

फ़िनलैंड में, अंतरबैंक दर वह ब्याज दर है जो बैंकों के बीच किए गए अल्पावधि ऋणों पर लागू होती है।

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज यूरोप

अंतरबैंक दर क्या है?

इंटरबैंक दर: परिचय और महत्व इंटरबैंक दर को समझने के लिए सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि यह दर क्या होती है और इसका आर्थिक परिदृश्य में क्या महत्व है। इंटरबैंक दर उस ब्याज दर को कहते हैं जिस पर बैंक एक-दूसरे को अल्पकालिक ऋण प्रदान करते हैं। ये ऋण आमतौर पर एक दिन से लेकर एक सप्ताह तक के अवधि के होते हैं। इंटरबैंक दर मौद्रिक नीति के संचालन, वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इंटरबैंक दर का निर्धारण: इंटरबैंक दर का निर्धारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, बाजार की तरलता, बैंकिंग प्रणाली की मांग और आपूर्ति आदि शामिल हैं। अधिकांश देशों में केंद्रीय बैंक इस दर को नियंत्रित करता है ताकि आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जा सके। उदाहरण के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने विभिन्न मौद्रिक उपकरणों के माध्यम से इंटरबैंक दर को नियंत्रित करता है। इंटरबैंक दर का प्रभाव: इंटरबैंक दर का सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। उच्च इंटरबैंक दरें बैंकों के लिए उधार लेना महंगा बना देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे उपभोक्ताओं और व्यवसायों को ऋण देने में संकोच करते हैं। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता खर्च और निवेश में कमी आती है, जिससे आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। वहीं दूसरी ओर, निम्न इंटरबैंक दरें बैंकों को सस्ता उधार लेने की अनुमति देती हैं, जिससे ऋण प्रदान करना सरल हो जाता है और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय स्थिरता: इंटरबैंक दर बैंकिंग प्रणाली की तरलता और वित्तीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। जब इंटरबैंक दरें स्थिर होती हैं, तो इसका मतलब है कि बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता है, और बैंक एक-दूसरे पर विश्वास रखते हैं। इसके विपरीत, अस्थिर या उच्च इंटरबैंक दरें संकेत देती हैं कि बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी है और बैंक एक-दूसरे को उधार देने में संकोच करते हैं। मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति: इंटरबैंक दर का एक महत्वपूर्ण प्रभाव मुद्रास्फीति पर भी पड़ता है। केंद्रीय बैंक आमतौर पर मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए इंटरबैंक दर को संशोधित करते हैं। यदि मुद्रास्फीति अधिक होती है, तो केंद्रीय बैंक इंटरबैंक दर को बढ़ा सकता है ताकि आर्थिक गतिविधियों को धीमा किया जा सके और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सके। इसके विपरीत, यदि मुद्रास्फीति कम होती है या अर्थव्यवस्था मंदी की ओर अग्रसर है, तो केंद्रीय बैंक इंटरबैंक दर को घटा सकता है ताकि आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकें और मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सके। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार: इंटरबैंक दर का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार पर भी पड़ता है। उच्च इंटरबैंक दरें विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक होती हैं, जिससे वे उस देश की मुद्रा में निवेश करते हैं और मुद्रा की मांग बढ़ती है। इसके विपरीत, निम्न इंटरबैंक दरें विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती हैं और मुद्रा की मांग कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, यदि संयुक्त राज्य अमेरिका की फेडरल रिजर्व अपनी इंटरबैंक दर बढ़ाता है, तो अन्य देशों के निवेशक अधिक रिटर्न की उम्मीद में यूएस डॉलर में निवेश करेंगे। इससे यूएस डॉलर की मांग में वृद्धि होगी और अमेरिकी आर्थिक स्थिरता को बल मिलेगा। इंटरबैंक दर का दीर्घकालिक प्रभाव: इंटरबैंक दरों का प्रभाव केवल अल्पकालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक भी होता है। इंटरबैंक दरों के विस्तारित उच्च स्तर से उपभोक्ता और व्यवसायिक निवेशों में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता आती है। वहीं दूसरी ओर, निम्न इंटरबैंक दरें ऋण प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं, जिससे लंबे समय में आर्थिक वृद्धि संभव हो सकती है। निष्कर्ष: इंटरबैंक दरें किसी भी देश की आर्थिक संरचना और वित्तीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह दर केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है और इसके माध्यम से मुद्रास्फीति, आर्थिक गतिविधियों, और वित्तीय स्थिरता को नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा, इंटरबैंक दर का प्रभाव अंतरराष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा बाजार पर भी पड़ता है, जिससे व्यापक आर्थिक परिदृश्य को समझने में सहायता मिलती है। अतः, इंटरबैंक दर को समझना और उसका विश्लेषण करना वित्तीय पेशेवरों, निवेशकों, और नीति निर्माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से वे आर्थिक दिशा निर्देश तय कर सकते हैं और भविष्य की वित्तीय योजनाएं बना सकते हैं। eulerpool जैसी प्रोफेशनल वेबसाइट्स पर इंटरबैंक दर और अन्य मैक्रो आर्थिक डेटा का समय समय पर निरीक्षण और विश्लेषण करने से हितधारक सही निर्णय ले सकते हैं और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।