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2 यूरो में सुरक्षित करें एंटीगुआ और बारबुडा बिक्री कर दर
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एंटीगुआ और बारबुडा में वर्तमान बिक्री कर दर का मूल्य 15 % है। एंटीगुआ और बारबुडा में बिक्री कर दर 1/1/2022 को घटकर 15 % हो गई, जबकि यह 1/1/2021 को 15 % थी। 1/1/2014 से 1/1/2023 तक, एंटीगुआ और बारबुडा में औसत GDP 15 % थी। अब तक की उच्चतम दर 1/1/2014 को 15 % के साथ प्राप्त हुई, जबकि निम्नतम दर 1/1/2014 को 15 % दर्ज की गई।
बिक्री कर दर ·
३ वर्ष
5 वर्ष
10 वर्ष
२५ वर्ष
मैक्स
कर योग्य विक्रय मूल्य का प्रतिशत | |
---|---|
1/1/2014 | 15 % |
1/1/2015 | 15 % |
1/1/2016 | 15 % |
1/1/2017 | 15 % |
1/1/2018 | 15 % |
1/1/2019 | 15 % |
1/1/2020 | 15 % |
1/1/2021 | 15 % |
1/1/2022 | 15 % |
बिक्री कर दर इतिहास
तारीख | मूल्य |
---|---|
1/1/2022 | 15 % |
1/1/2021 | 15 % |
1/1/2020 | 15 % |
1/1/2019 | 15 % |
1/1/2018 | 15 % |
1/1/2017 | 15 % |
1/1/2016 | 15 % |
1/1/2015 | 15 % |
1/1/2014 | 15 % |
बिक्री कर दर के समान मैक्रो संकेतक
नाम | वर्तमान | पिछला | फ्रीक्वेंसी |
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एंटीगुआ और बारबुडा में, बिक्री कर दर उन उपभोक्ताओं पर लगाया गया कर है जो कुछ वस्तुओं और सेवाओं की खरीद मूल्य पर आधारित होता है। बिक्री कर दर के लिए हमारे द्वारा उपयोग किया जाने वाला मानक उच्चतम दर को संदर्भित करता है। बिक्री कर दर से प्राप्य राजस्व एंटीगुआ और बारबुडा सरकार के लिए आय के एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
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बिक्री कर दर क्या है?
सेल्स टैक्स रेट, या बिक्री कर दर, एक प्रमुख मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर है जिसका व्यापक प्रभाव अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर पड़ता है। सेल्स टैक्स वह कर है जो उपभोक्ता किसी वस्तु या सेवा की खरीदारी पर सरकार को अदा करता है। इस कर का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है, जिसमें सरकार की नीतियाँ, उपभोक्ता व्यवहार, और आर्थिक स्थिति शामिल हैं। बिक्री कर दरें विभिन्न देशों और राज्यों में अलग-अलग होती हैं और यह स्थानीय, राज्यस्तरीय और केंद्रीय स्तर पर लागू हो सकती हैं। बिक्री कर दरें अक्सर उच्च मूल्य वाली वस्तुओं और सेवा क्षेत्रों में उच्च होती हैं, ताकि सरकार राजस्व बढ़ा सके और विभिन्न योजनाओं तथा परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर सके। हालांकि, यह कर उपभोक्ता की क्रय क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, और इसलिए इसे अत्यंत संवेदनशीलता और संतुलान के साथ लागू किया जाता है। उदाहरण के लिए, उच्च बिक्री कर दरें उपभोक्ताओं की खरीदारी प्रवृत्ति को कम कर सकती हैं, जिससे आयात और मांग में गिरावट आ सकती है। इसके विपरीत, कम बिक्री कर दरें उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, जो मांग में वृद्धि ला सकती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है। इस प्रकार, बिक्री कर दरें न केवल राजस्व संग्रह का साधन हैं, बल्कि यह अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण नीति उपकरण भी हैं। विभिन्न देशों में, सेल्स टैक्स रेट का उपयोग स्थानीय प्रशासनिक खर्च, सार्वजनिक सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाता है। एक सुविचारित बिक्री कर प्रणाली सरकारी कार्यों को सुचारु रूप से चलाने में मदद करती है और बाजार में स्थिरता बनाने में मददगार होती है। भारत में, "जीएसटी" (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) सबसे प्रमुख उदाहरण है, जहां विभिन्न प्रकार के बिक्री करों को एकमात्र कर प्रणाली में समाहित कर दिया गया है। जीएसटी ने अलग-अलग राज्यों में विभिन्न बिक्री कर दरों को समाप्त कर दिया है, जिससे देश में एक समान कर प्रणाली लागू की गई है। इसके परिणामस्वरूप, व्यापारियों और उद्यमियों के लिए व्यापार प्रक्रिया सरल हो गई है और उपभोक्ताओं के लिए मासिक बजट प्रबंधन में भी सहूलियत हुई है। सेल्स टैक्स रेट व्यापार वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, उच्च बिक्री कर दरें उत्पादन लागत को बढ़ा सकती हैं, जिससे वस्तु की कीमतों में वृद्धि हो सकती है और प्रतिस्पर्धी बाजार में यह उत्पाद को कम आकर्षक बना सकता है। वहीं, कम बिक्री कर दरें स्थानीय उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं, क्योंकि इससे उत्पादन लागत कम होती है और उपभोक्ता वस्तु को खरीदने के लिए अधिक उत्साहित होते हैं। सेल्स टैक्स रेट का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर भी प्रभाव पड़ता है। कई देश अपनी बिक्री कर दरों का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति के तहत कस्टम ड्यूटी और टैक्स रेट के तालमेल में करते हैं। यह नीतियां अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की सुगमता और आयात-निर्यात संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उभरते अर्थव्यवस्थाओं के लिए, सीमित बिक्री कर दरें वैश्विक प्रतिस्पर्धी बाज़ार में स्थान बनाने और विदेशी निवेश आकर्षित करने में सहायक हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, सेल्स टैक्स रेट का सामाजिक और आर्थिक असमानता पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। उच्च इनकम ग्रुप की तुलना में निम्न और मध्यम इनकम ग्रुप के लोगों पर उच्च बिक्री कर दरों का नकारात्मक प्रभाव अधिक होता है, क्योंकि उनके पास कम कर-योग्य आय होती है और उनकी क्रय शक्ति कम होती है। इसी कारण से, कई देश प्रोग्रेसिव टैक्स सिस्टम अपनाते हैं, जहां निकटवर्ती वस्त्रों और आवश्यक सेवाओं पर कम टैक्स रेट लगाया जाता है, जबकि लक्सरी वस्त्रों और सेवाओं पर उच्च टैक्स रेट लगाया जाता है। समाज का सबसे प्रभावशाली अंग यानी सरकार, सेल्स टैक्स रेट के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य योजनाओं तथा विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए राजस्व जुटाती है। यह राजस्व सड़क निर्माण, विद्यालय, अस्पताल, और अन्य सार्वजनिक सेवाओं के वित्तपोषण में इस्तेमाल होता है। अतः एक प्रभावी और संतुलित बिक्री कर प्रणाली का होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल सरकार के वित्तीय स्थिरता की दिशा में एक कदम है, बल्कि समग्र आर्थिक विकास और समाज के सर्वांगीण प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण कारक है। कुल मिलाकर, सेल्स टैक्स रेट एक महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनॉमिक इंडिकेटर है जो आर्थिक स्थिरता, विकास, और सामाजिक समानता से सीधे संबंधित है। सेल्स टैक्स दरें एक देश की आर्थिक नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं और यह विभिन्न आर्थिक गतिविधियों तथा सामाजिक सेवाओं को प्रभावित करती हैं। इसलिए, सरकारें इसे बहुत सोच-समझकर निर्धारित करती हैं, ताकि संतुलित राजस्व प्राप्ति के साथ-साथ जनता पर न्यूनतम भार पड़े और समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।