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🇩🇪

जर्मनी ऊर्जा महंगाई

शेयर मूल्य

4.07 %
परिवर्तन +/-
+3.09 %
प्रतिशत में परिवर्तन
+122.38 %

जर्मनी में वर्तमान ऊर्जा महंगाई का मूल्य 4.07 % है। ऊर्जा महंगाई 1/12/2023 को जर्मनी में बढ़कर 4.07 % हो गया, जबकि 1/9/2023 को इसका मूल्य 0.98 % था। 1/1/1992 से 1/2/2025 तक, जर्मनी में औसत जीडीपी 3.67 % थी। 1/9/2022 को सर्वकालिक उच्चतम मूल्य 36.54 % दर्ज किया गया, जबकि सबसे कम मूल्य 1/7/2009 को -11.4 % रिकॉर्ड किया गया।

स्रोत: Federal Statistical Office

ऊर्जा महंगाई

  • ३ वर्ष

  • 5 वर्ष

  • 10 वर्ष

  • २५ वर्ष

  • मैक्स

ऊर्जा मुद्रास्फीति

ऊर्जा महंगाई इतिहास

तारीखमूल्य
1/12/20234.07 %
1/9/20230.98 %
1/8/20238.25 %
1/7/20235.69 %
1/6/20233.01 %
1/5/20232.59 %
1/4/20236.85 %
1/3/20233.54 %
1/2/202319.14 %
1/1/202323.1 %
1
2
3
4
5
...
27

ऊर्जा महंगाई के समान मैक्रो संकेतक

नामवर्तमानपिछला फ्रीक्वेंसी
🇩🇪
CPI ट्रांसपोर्ट
126.2 points125.6 pointsमासिक
🇩🇪
आयात मूल्य
115.2 points113.9 pointsमासिक
🇩🇪
आयात मूल्य वार्षिक वृद्धि
0.2 %0.9 %मासिक
🇩🇪
उत्पादक मूल्य परिवर्तन
-1.6 %-2.2 %मासिक
🇩🇪
उत्पादक मूल्य स्फीति मासिक दर मास
0.2 %0 %मासिक
🇩🇪
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
119.3 points119.2 pointsमासिक
🇩🇪
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आवास और पार्श्व लागत
116.7 points116.4 pointsमासिक
🇩🇪
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक नॉर्डराइन-वेस्टफालेन YoY
1.5 %1.7 %मासिक
🇩🇪
किराया मुद्रास्फीति
2.1 %2.2 %मासिक
🇩🇪
खाद्य मुद्रास्फीति
2.08 %1.84 %मासिक
🇩🇪
थोक मूल्य
116.1 points117 pointsमासिक
🇩🇪
थोक मूल्य सूचकांक MoM
-0.8 %0.3 %मासिक
🇩🇪
थोक मूल्य सूचकांक YoY
-1.1 %-0.1 %मासिक
🇩🇪
निर्माता मूल्य
128.2 points128.3 pointsमासिक
🇩🇪
निर्यात मूल्य
114.6 points114.7 pointsमासिक
🇩🇪
मासिक आयात मूल्य
-0.4 %-0.4 %मासिक
🇩🇪
मुख्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक
116.2 points115.1 pointsमासिक
🇩🇪
मुख्य मुद्रास्फीति दर
2.6 %2.9 %मासिक
🇩🇪
मुद्रास्फीति दर
2.3 %2.6 %मासिक
🇩🇪
मुद्रास्फीति दर मासिक
0 %-0.1 %मासिक
🇩🇪
वेरब्राउचरप्राइसइंडेक्स बाडेन-वुर्टेमबर्ग YoY
2.1 %1.9 %मासिक
🇩🇪
वेरब्राउचरप्राइसइंडेक्स ब्रांडेनबर्ग YoY
2.3 %2.3 %मासिक
🇩🇪
वेरब्रौचरप्राइसइंडेक्स बायर्न YoY
1.9 %2.1 %मासिक
🇩🇪
सक्सन CPI YoY
2.4 %2.6 %मासिक
🇩🇪
समन्वित उपभोक्ता मूल्य
129.9 points130.2 pointsमासिक
🇩🇪
सामंजस्त मुद्रास्फीति दर वार्षिक
1.8 %2 %मासिक
🇩🇪
सामंजस्यित मुद्रास्फीति दर मासिक वृद्धि
-0.1 %-0.2 %मासिक
🇩🇪
सेवा मुद्रास्फीति
3.8 %4 %मासिक
🇩🇪
हेसेन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक YoY
2.3 %2.5 %मासिक

ऊर्जा कुल जर्मन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के 7.4 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

अन्य देशों के लिए मैक्रो-पेज यूरोप

ऊर्जा महंगाई क्या है?

परिचय: ऊर्जा मुद्रास्फीति, जिसे सरल शब्दों में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक प्रभाव डालती है। यह विशेष रूप से मौजूदा समय में बहुत महत्वपूर्ण हो गई है जब ऊर्जा स्रोतों की उपलब्धता और उनकी कीमतें निरंतर अस्थिरता का सामना कर रही हैं। ऊर्जा मुद्रास्फीति का महत्व समझना इसलिए आवश्यक हो जाता है क्योंकि यह कई आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करती है और इसके परिणामस्वरूप अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर भी असर डालती है। इस आलेख में, हम ऊर्जा मुद्रास्फीति के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत समीक्षा करेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि यह व्यापक आर्थिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करती है। ऊर्जा मुद्रास्फीति की परिभाषा और कारण: ऊर्जा मुद्रास्फीति उन स्थितियों को दर्शाती है जब ऊर्जा स्रोतों की कीमतों में लगातार वृद्धि होती है। इसके प्रमुख कारणों में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता, प्राकृतिक गैस और कोयले की कमी, और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की सीमित उपलब्धता शामिल हो सकते हैं। इन कारणों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की नीतियाँ भी ऊर्जा की कीमतों पर बड़ा प्रभाव डालती हैं। जब सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए सख्त नीतियाँ लागू करती हैं, तो इससे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की कीमतें बढ़ सकती हैं जो अंततः ऊर्जा मुद्रास्फीति को बढ़ावा देती है। ऊर्जा मुद्रास्फीति का आर्थिक प्रभाव: ऊर्जा मुद्रास्फीति का प्रभाव व्यापक और विविध हो सकता है। यह निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है: 1. उत्पादन लागत: ऊर्जा लागतों में वृद्धि सीधे उत्पादन लागत को बढ़ाती है। इससे निर्माण, परिवहन और वितरण में वृद्धि होती है, जो उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि के रूप में दिखाई देती है। 2. उपभोक्ता मुद्रास्फीति: ऊर्जा कीमतों में वृद्धि का उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर भी असर पड़ता है। यह बढ़ी हुई कीमतें उपभोक्ताओं की खर्च करने की शक्ति को प्रभावित करती हैं और जीवन संकट को उत्पन्न करती हैं। 3. व्यापार संतुलन: ऊर्जा आयात करने वाले देश, जैसे कि भारत, ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों के कारण उनके व्यापार संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव का सामना करते हैं। इन देशों को अपने विदेशी मुद्रा रिज़र्व से अधिक धन खर्च करना पड़ता है, जिससे उनके मुद्रा विनिमय दर पर भी दबाव पड़ता है। 4. मौद्रिक नीतियों: ऊर्जा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों को प्रभावित करती है। बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस करते हैं, जिससे ऋण लेने की लागत बढ़ जाती है और आर्थिक विकास धीमा हो सकता है। भारत में ऊर्जा मुद्रास्फीति: भारत, जो एक बड़ा ऊर्जा आयातक है, ऊर्जा मुद्रास्फीति के प्रभाव को बहुत ही गहराई से अनुभव करता है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का धीमा अपनाना, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। बढ़ती ऊर्जा कीमतों का प्रभाव कृषि, विनिर्माण और परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर भी पड़ता है। इसके अतिरिक्त, उपभोक्ता मुद्रास्फीति का प्रभाव आम जनता की खर्चे की शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे मांग में कमी होती है और आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है। ऊर्जा मुद्रास्फीति से निपटने के उपाय: ऊर्जा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सरकारें और नीति निर्माताओं को कई कदम उठाने की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं: 1. नवीकरणीय ऊर्जा का विकास: सौर, पवन और हाइड्रो ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास और उपयोग बढ़ाने से पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होती है और ऊर्जा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। 2. ऊर्जा संरक्षण: ऊर्जा संरक्षण के लिए तकनीकी सुधार और ऊर्जा उपयोग की दक्षता बढ़ाने के प्रयास महत्वपूर्ण होते हैं। इससे ऊर्जा की खपत कम होती है और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। 3. बाजार सुधार: ऊर्जा बाजार में सुधार और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए नियामकीय उपाय किए जा सकते हैं। इससे ऊर्जा की कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है और उपभोक्ताओं को लाभ हो सकता है। 4. राष्ट्रीय रिजर्व: ऊर्जा मुद्रास्फीति के समय में राष्ट्रीय ऊर्जा रिजर्व तैयार रखना महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे अचानक उत्पन्न ऊर्जा संकटों का सामना करने में मदद मिलती है और कीमतों में स्थिरता बनी रहती है। निष्कर्ष: ऊर्जा मुद्रास्फीति एक गंभीर आर्थिक मुद्दा है जो वैश्विक और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर गहरी छाप छोड़ता है। इसका प्रभाव उत्पादन लागत, उपभोक्ता खर्च, व्यापार संतुलन और मौद्रिक नीतियों पर पड़ता है। इसलिए, ऊर्जा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सरकारों और नीति निर्माताओं को सतर्क और सक्रिय रहने की आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास, ऊर्जा संरक्षण, बाजार सुधार और राष्ट्रीय रिजर्व संग्रहण जैसी उपाय ऊर्जा मुद्रास्फीति से निपटने के प्रभावी तरीके हो सकते हैं। ऊर्जा मुद्रास्फीति की समझ और इसके प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने से अर्थव्यवस्थाओं को दीर्घकालिक स्थिरता और समृद्धि मिल सकती है। ऊर्जा मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने की दिशा में किए गए प्रयास आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। Eulerpool, जो कि एक पेशेवर मैक्रोइकोनॉमिक डेटा प्रदर्शक वेबसाइट है, इस विषय पर विस्तृत और सटीक जानकारी प्रदान करने में सहायता कर सकता है, जिससे नीति निर्माता, शोधकर्ता और आम उपभोक्ता सभी लाभान्वित हो सकते हैं।